Modi ka Parivar: राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद का बीजेपी हर मोर्चे पर विरोध करती है. पीएम मोदी अलग-अलग राज्यों में राजनीतिक घरानों के परिवारवाद और वंशवाद पर हमला बोलते हैं. लेकिन मौजूदा समय में कोई भी दल परिवारवाद और वंशवाद से अछूता नहीं है. राजस्थान में 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक ही परिवार से दो और उससे अधिक लोगों को टिकट देकर साफ कर दिया कि बीजेपी में परिवारवाद कम नहीं है.
बीजेपी के अंदर इतना परिवारवाद है तो बीजेपी दूसरे दलों पर कैसे निशाना साधा पाएगी. आज हम आपनी सीरीज में आपको बीजेपी में परिवारवाद के बारे में बताने जा रहे हैं.
जरपुर राज घराने की महरानी गायत्री देवी राजनीति में आईं और सांसद बनीं. गांधी नेहरू परिवार को घेरा तो जेल जाना पड़ा. आज राजस्थान में उनकी पोती दीया कुमारी (विद्यासागर नगर) जयपुर से विधायक हैं. साथ ही वह राजमुंद से लोकसभा सांसद रह चुकी हैं.
महाराजा करणी सिंह बीकानेर से पांच बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर सांसदी का चुनाव लड़ते और जीतते रहे. करणी सिंह की पोती एवं बीकानेर राजपरिवार की सदस्य सिद्धि कुमारी सक्रिय राजनीति में हैं. (बीकानेर पूर्व) से वह विधायक हैं. साल 2008 और साल 2013 में दो बार वे जीत का स्वाद चख चुकी हैं.
सीकर में प्रदेश के पूर्व पंचायती राज मंत्री रहे भाजपा के दिग्गज नेता हरलाल सिंह खर्रा आज हमारे बीच नहीं हैं. वह खर्रा पांच बार श्रीमाधोपुर क्षेत्र से विधायक रहे. इनके बेटे झाबर सिंह खर्रा राजनीति में सक्रिय है और उनको बीजेपी ने श्रीमाधोपुर से टिकट दिया था. यहां से जीतकर विधायक बने और अब राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं.
पूर्व संसदीय सचिव और पूर्व विधायक धर्मपाल चौधरी आज हमारे बीच नहीं हैं. उनकी गिनती बीजेपी के बड़े नेताओं में होती थी. पूर्व विधायक धर्मपाल चौधरी के बेटे मंजीत चौधरी मुंडावर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके पहले वह इस सीट से विधायक रह चुके हैं.
नाथूराम मिर्धा की गिनती राजस्थान में दिग्गज जाट नेताओं में होती थी. नाथूराम मिर्धा नागौर से लोकसभा सांसद रहे हैं. हालांकि नाथूराम मिर्धा अपने भतीजे रामनिवास मिर्धा से चुनाव हार गए थे.आज बीजेपी में उनकी पोती ज्योति मिर्धा हैं. नागौर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की प्रत्याशी ज्योति मिर्धा ने मंगलवार 26 मार्च को अपना नामांकन दाखिल किया है. ज्योति मिर्धा की ओर से दिए गए चुनावी शपथ पत्र से पता चला है कि वे 126 करोड़ रुपए की मालकिन हैं.
बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में एक ही परिवार के दो या उससे अधिक लोगों को टिकट देकर खुद परिवारवाद की राजनीति को बढ़ाने का काम किया है. इन नेताओं की लिस्ट से इसे समझा जा सकता है.