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Lok Sabha Election 2024: एक देश, एक चुनाव से लेकर सामान नागरिक संहिता तक; BJP के Manifesto में क्या होंगे वादे?

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों की ओर से ताबड़तोड़ चुनावी कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. प्रत्याशियों का भी ऐलान किया जा रहा है. एक दिन पहले कांग्रेस की ओर से घोषणापत्र के ड्राफ्ट को तैयार कर लेने की खबर आई थी. आइए, जानते हैं कि केंद्र में सत्ता में काबिज भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में क्या-क्या वायदे हो सकते हैं.

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Lok Sabha Election 2024: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के घोषणापत्र में एक देश, एक चुनाव, समान नागरिक संहिता जैसे वायदों को शामिल किया जा सकता है. न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2029 में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ हो सकते हैं. 2028 के अंत में मतदान के लिए निर्धारित कुछ राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को कुछ महीनों तक बढ़ाया जा सकता है, ताकि उनमें 2029 के लोकसभा चुनावों के साथ मतदान हो सके, जबकि 2024 के बाद मतदान करने वाले अन्य राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल में कटौती की जा सकती है.

शीर्ष सूत्रों ने News18 को बताया कि BJP आम चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र या संकल्प पत्र में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को एक प्रमुख वादा के रूप में शामिल कर सकती है, जिसका अर्थ है कि 2029 में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) को भी घोषणापत्र में प्रमुखता से शामिल किया जा सकता है. फिलहाल, BJP घोषणापत्र के लिए बड़े पैमाने पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया ले रही है.

देश में एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट इसी महीने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी गई थी. सूत्रों ने कहा कि अगली सरकार सत्ता में आते ही इस रिपोर्ट को स्वीकार किया जा सकता है. देश में एक साथ चुनाव और समान नागरिक संहिता को 2019 में भी भाजपा के घोषणापत्र में शामिल किया गया था.

2019 के घोषणापत्र में भाजपा ने क्या कहा था?

2019 के घोषणापत्र में कहा गया था कि भाजपा खर्च कम करने, सरकारी संसाधनों और सुरक्षा बलों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने और प्रभावी नीति नियोजन के लिए संसद, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव के विचार के लिए प्रतिबद्ध है. 2019 के घोषणापत्र में कहा गया था कि हम इस मुद्दे पर सभी दलों के साथ आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे.

केंद्र सरकार के पास अब इस मामले पर आगे बढ़ने के लिए रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट है. हालांकि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम जैसे 15 राजनीतिक दलों ने इस विचार का विरोध किया है. लेकिन, रिपोर्ट में कहा गया है कि संविधान संशोधन विधेयक को संसद में पारित करने की आवश्यकता है और इसके लिए राज्य सरकारों से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है.

2019 घोषणापत्र के ये वादे हुए पूरे

भाजपा ने 2019 में किए गए वादे में से कुछ प्रमुख को पूरा भी किया है. इसमे जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करना शामिल है. 2019 के घोषणापत्र में कहा गया था कि भाजपा का मानना ​​​​है कि जब तक एक समान नागरिक संहिता (UCC) नहीं अपनाया जाएगा, तब तक लैंगिक समानता नहीं हो सकती है. केंद्र ने कहा था कि वो UCC का मसौदा तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है.

भाजपा सूत्रों ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने UCC कानून पारित करके रास्ता दिखाया है और अन्य भाजपा शासित राज्य मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में ऐसा कर सकते हैं. इसलिए भाजपा अपने 2024 के घोषणापत्र में फिर से UCC का वादा करने के लिए उत्तराखंड का उदाहरण दे सकती है.