भारत ने पाकिस्तान के साथ चल रहे तनाव, विशेष रूप से कश्मीर और सीमा पार आतंकवाद के मुद्दों पर अपनी स्थिति को वैश्विक शक्तियों के सामने रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल शुरू की है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA), कांग्रेस, बीजेडी और अन्य दलों के सांसदों से मिलकर बनी एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण अफ्रीका, कतर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों का दौरा करेगी. यह दौरा 22 मई के बाद शुरू होने की उम्मीद है.
मिशन का उद्देश्य
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू इस मिशन का समन्वय कर रहे हैं, जिसे भारत की विदेश नीति में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है. एक सूत्र ने शुक्रवार को बताया, “इस दौरे का मुख्य उद्देश्य वैश्विक नेताओं को भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के तनावों के बारे में जानकारी देना, भारत का रणनीतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करना और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन हासिल करना है.” सांसदों को सभी आवश्यक यात्रा दस्तावेजों के साथ दिल्ली में एकत्र होने के निर्देश दिए गए हैं.
विदेश मंत्रालय की तैयारी
विदेश मंत्रालय (MEA) आने वाले दिनों में सांसदों के लिए ब्रीफिंग आयोजित करेगा, जिसमें यात्रा कार्यक्रम, चर्चा के बिंदु और समग्र रणनीति की रूपरेखा तैयार की जाएगी. सूत्रों ने कहा, “यह अंतरराष्ट्रीय पहल भारत के वैश्विक रुख को मजबूत करने और सहयोग बढ़ाने का लक्ष्य रखती है. विविध राजनीतिक प्रतिनिधित्व के साथ, यह प्रतिनिधिमंडल हाल के संघर्ष और भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए तैयार है.”
हर दल से 5-6 सांसद होंगे शामिल
प्रत्येक टीम में विभिन्न दलों के 5-6 सांसद शामिल होंगे, जिनके साथ एक एमईए अधिकारी और एक सरकारी प्रतिनिधि होगा. चयनित सांसदों को निमंत्रण भेजे जा चुके हैं. ये प्रतिनिधिमंडल 22-23 मई के बीच रवाना होंगे और जून के पहले सप्ताह तक लौटेंगे. यह पहली बार है जब भारत सरकार ने कश्मीर और पाकिस्तान से जुड़े आतंकवाद के मुद्दों पर गलत नैरेटिव का मुकाबला करने के लिए बहुदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल को विदेश भेजने का फैसला किया है.
ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ
यह कूटनीतिक कदम 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के परिणामस्वरूप आया है. इस हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे.