Online Trading Fraud: कोच्चि के एक प्रतिष्ठित दवा कंपनी मालिक को ऑनलाइन ट्रेडिंग घोटाले में ₹25 करोड़ का भारी नुकसान हुआ है. यह राशि देश में किसी व्यक्ति से निवेश घोटाले के जरिए ठगी गई अब तक की सबसे बड़ी रकम मानी जा रही है. इस घटना ने साइबर अपराध की गंभीरता को उजागर किया है, जिसके बाद केरल पुलिस की साइबर सेल ने जांच को और व्यापक कर दिया है.
घटना की सूचना सबसे पहले भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) को दी गई, जिसने तुरंत तिरुवनंतपुरम साइबर संचालन मुख्यालय को इसकी जानकारी दी. साइबर सेल ने औपचारिक शिकायत दर्ज कर ली है और धनराशि को अन्य खातों में ट्रांसफर होने से रोकने के लिए फौरन कदम उठाए गए हैं. जांच में यह भी सामने आया कि यह घोटाला एक फर्जी ट्रेडिंग ऐप के जरिये से चार महीनों में अंजाम दिया गया.
कैसे हुआ घोटाला?
जांचकर्ताओं के मुताबिक, पीड़ित व्यवसायी, जिन्हें ट्रेडिंग का कई वर्षों का अनुभव है दो साल पहले इस फर्जी ऐप को इंस्टॉल किया था. उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि यह एक धोखाधड़ी का जाल है. धोखेबाजों ने शुरुआती जमा राशि पर दोगुना मुनाफा दिखाकर पीड़ित का भरोसा जीता. उन्होंने कहा कि “शुरुआत में मुनाफा देखकर मुझे लगा कि यह एक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म है. '' हालांकि, जब उन्होंने अपनी जमा राशि निकालने की कोशिश की, तो उन्हें बार-बार अलग-अलग बहानों से टाला गया. पिछले एक महीने से उन्हें शक हो रहा था, लेकिन पैसे निकालने में असफल रहने के बाद ही घोटाले की पुष्टि हुई.
विदेशी कनेक्शन की जांच
साइबर सेल ने शुक्रवार को इस मामले में औपचारिक FIR दर्ज की. शुरूआती जांच में पता चला है कि यह फर्जी ऐप किसी विदेशी नागरिक के नियंत्रण में संचालित हो रहा था. साइबर सेल अब अंतरराष्ट्रीय सहयोग से इस नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश कर रही है ताकि अन्य लोगों को इस तरह के घोटालों से बचाया जा सके.
साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता जरूरी
यह घटना साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को रेखांकित करती है. विशेषज्ञों का कहना है कि ऑनलाइन ट्रेडिंग से पहले ऐप्स और प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता की गहन जांच जरूरी है. इस मामले ने न केवल व्यक्तिगत निवेशकों, बल्कि कॉरपोरेट जगत को भी सतर्क कर दिया है.