Budhni Manjhiyain: झारखंड में 'पंडित जवाहरलाल नेहरू की आदिवासी पत्नी' बुधनी मंझियाइन के लिए स्मारक बनाने की मांग उठी है. बीते शुक्रवार की रात 80 साल की बुधनी का निधन हो गया था. बुधनी पिछले करीब 64 साल से अपनी ही जाति-समाज में बहिष्कार का दंश झेल रही थीं. बुधनी ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की मौजूदगी में दामोदर वैली कॉरपोरेशन के पंचेत डैम और हाईडल पावर प्लांट का उद्घाटन किया था. उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सम्मान में मिली माला को उठाकर बुधनी को पहना दी थी. उस वक्त बुधनी की उम्र महज 16 साल थी.
पंचेत बांध के उद्घाटन पर पंडित नेहरू ने बुधनी को जो माला पहनाई, वो उनके लिए जीवनभर का दर्द बन गई. दरअसल संथाल आदिवासी किसी पुरुष का महिला या लड़की को माला पहना दोनों की शादी मान लेते थे. उस वक्त समुदाय के बाहर शादी करने पर समाज से बहिष्कार कर दिया जाता था. तत्कालीन पीएम नेहरू के माला पहनाने को आदिवासी समुदाय ने शादी माना. समुदाय से बाहर एक गैर-आदिवासी से 'शादी करने' की वजह से बुधनी मंझियाइन को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया. उनकी अपने गांव में एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया. बुधनी मंझियाइन की ये कहानी 17 नवंबर को उनकी मौत के बाद सामने आई.
बुधनी मंझियाइन का जीवन कष्ट में बीत रहा था. 1985 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री के रूप में बंगाल के आसनसोल गए तो एक स्थानीय कांग्रेस नेता ने बुधनी से उनकी मुलाकात कराई. इस दौरान बुधनी ने राजीव गांधी को अपनी आपबीती सुनाई. इसके बाद बुधनी को डीवीसी में नौकरी मिल गई, जहां से वो 2005 में सेवानिवृत्त हुईं.
17 नवंबर 2023 को निधन के बाद बुधनी का पंचेत में अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान स्थानीय राजनेताओं और नागरिक मौजूद रहे. अब स्थानीय पार्क में नेहरू की मूर्ति के पास बुधनी मंझियाइन के सम्मान में एक स्मारक बनाने की मांग की गई है. जानकारी के मुताबिक पंचेत पंचायत के मुखिया भैरव मंडल और अन्य लोगों ने डीवीसी प्रबंधन को स्थानीय डीवीसी कॉलोनी में मंझियाइन के स्मारक और उनकी बेटी रत्ना के लिए एक घर की मांग करते हुए पत्र भेजा है.
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