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'चुनाव से पहले जनता से लोकलुभावन वादे किए जाते हैं लेकिन इन्हें निभाना...', मुख्य चुनाव आयुक्त का बड़ा बयान

मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार को कहा कि राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों द्वारा मुफ्त में सुविधाएं देने वाली घोषणाओं में लोकलुभावन वादों का तड़का होता है

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Sagar Bhardwaj
'चुनाव से पहले जनता से लोकलुभावन वादे किए जाते हैं लेकिन इन्हें निभाना...', मुख्य चुनाव आयुक्त का बड़ा बयान

 Election Commission: मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार को कहा कि राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों द्वारा मुफ्त में सुविधाएं देने वाली घोषणाओं में लोकलुभावन वादों का तड़का होता है और चुनाव जीतने वालों के लिए इन रियायतों को लागू करना या फिर इस प्रथा को रोकना मुश्किल होता है.

चुनाव से पहले विभिन्न दलों और सरकार द्वारा मुफ्त में सुविधाएं मुहैया कराने की घोषणा के बारे में सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकारों का अधिकार क्षेत्र है, लेकिन वे पांच साल तक अपने वादों को याद नहीं रखते और चुनाव से महीने भर पहले ही ऐसे लोकलुभावन वादे जनता से करते हैं.

CWC ने पांच राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और मिजोरम में होने वाले चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की.

कुमार ने कहा कि यह मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है और निर्वाचन आयोग इस पर स्पष्टता और निर्णय मिलते ही एक्शन लेगा. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने हाल ही में पार्टियों और राज्यों को एक प्रपत्र जारी किया था, जिसमें पूछा गया था कि वे  चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों को वे उनके कैसे और कब लागू करेंगे.

उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि पांच साल तक पार्टियों को अपने चुनावी वादों की याद क्यों नहीं आती. सारी घोषणाएं एक महीने या 15 दिन पहले क्यों की जाती हैं...

उन्होंने कहा कि पार्टियां यह बताने के लिए स्वतंत्र हैं कि वादों को कैसे और कब लागू करेंगीं, लेकिन मतदाताओं को यह जानने का अधिकार है.

कुमार ने कहा कि इसके पीछे हमारी मंशा हर चीज को सार्वजनिक दायरे में लाने की थी. उन्होंने कहा, ‘‘इन घोषणाओं में लोकलुभावन वादों का ‘तड़का’ होता है। इस तरह की रियायतों को लागू करना या रोकना मुश्किल है. इसलिए लोगों को यह जानने का अधिकार है कि इन मुफ्त चीजों को कैसे लागू किया जाएगा.’’

बता दें कि पीएम मोदी ने मुफ्तखोरी और लोकलुभावन वादों को रेवड़ी कल्चर बताया था, लेकिन बीजेपी खुद लोकलुभावन वादे करनी वाली पार्टी है. बीजेपी की कई ऐसी घोषणाएं हैं जो आज तक पूरी नहीं हुई. 2014 के विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी ने कालेधन को वापस लाकर हर एक व्यक्ति के खाते में 15-15 लाख डालने का वादा दिया था.

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