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Katchatheevu Island पर पंडित नेहरू की राय को लेकर अमित शाह ने बोला हमला, जानें पूर्व PM ने क्या कहा था?

Katchatheevu Island Row: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कच्चातिवु मामले को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू पर जमकर निशाना साधा. साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर भी उन्हें घेरा.

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Edited By: India Daily Live
Amit Shah Over Pandit Nehru opinion

Katchatheevu Island Row: श्रीलंका के कब्जे वाले कच्चातिवु द्वीप को लेकर अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधा है. केंद्रीय गृह मंत्री ने नेहरू का जिक्र उस दिन किया जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूर्व प्रधान मंत्री पर कच्चाथीवू द्वीप को 'उपद्रव' मानने का आरोप लगाया.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मई 1961 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ओर से लिखा गया था कि मैं इस छोटे से द्वीप को बिल्कुल भी महत्व नहीं देता और मुझे इस पर अपना दावा छोड़ने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी. मुझे इस तरह के मामले पसंद नहीं हैं, जो अनिश्चित काल तक लंबित रहे और संसद में बार-बार उठाया जाए. अमित शाह ने पंडित नेहरू के इस राय को लेकर कहा कि पंडित नेहरू के लिए, ये एक छोटा सा द्वीप था, इसका कोई महत्व नहीं था, उन्होंने इसे एक उपद्रव के रूप में देखा. 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ये बातें सोमवार को राजस्थान के जोधपुर में एक चुनावी रैली के दौरान कही. उन्होंने कच्चातिवु मामले के अलावा, जम्मू-कश्मीर के मसले पर भी पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू को घेरा. अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस आइकन और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू करके एक गलती की थी. ये पहली बार नहीं है जब अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की समस्याओं के लिए नेहरू को जिम्मेदार ठहराया हो.

पिछले साल लोकसभा में नेहरू पर साधा था निशाना

पिछले साल लोकसभा में अमित शाह ने कहा था कि नेहरू ने तत्कालीन राज्य में दो बड़ी गलतियां की थीं - पूरे कश्मीर को जीते बिना (1948 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान) युद्धविराम की घोषणा करना और पाकिस्तान के साथ विवाद को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना.

उन्होंने कहा कि मैं उस शब्द का समर्थन करता हूं जो यहां इस्तेमाल किया गया था - नेहरूवादी भूल. नेहरू के समय में की गई गलती के कारण कश्मीर को नुकसान उठाना पड़ा. जिम्मेदारी के साथ, मैं कहना चाहता हूं कि जवाहरलाल के कार्यकाल के दौरान जो दो गलतियां हुईं नेहरू, जिन्होंने कश्मीर को वर्षों तक पीड़ा झेलने के लिए मजबूर किया. सबसे पहले युद्धविराम की घोषणा करना - जब हमारी सेना जीत रही थी, तो युद्धविराम लगाया गया. अगर तीन दिन बाद युद्धविराम होता, तो PoK आज भारत का हिस्सा होता.. दूसरा हमारे आंतरिक मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना है.


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