नई दिल्ली: कश्मीर में मौसम ने करवट लेते हुए सीजन की पहली बर्फबारी दर्ज की है. चिल्लई कलां यानी भारी ठंड की शुरुआत के साथ ही घाटी के कई हिस्से बर्फ की सफेद चादर में ढक गए हैं. यह बर्फबारी लंबे समय से चल रहे सूखे दौर के बाद राहत लेकर आई है और लोगों में नई उम्मीद जगा रही है.
गुरेज घाटी, वारवान घाटी और दक्षिण और उत्तरी कश्मीर के ऊंचे इलाकों, जिसमें सिंथन टॉप, राजदान पास, साधना टॉप, जोजिला और सोनमर्ग में बर्फबारी हो रही है. इसके अलावा द्रास और कारगिल जिले के कुछ हिस्सों में भी बर्फबारी हुई है. इससे पूरे पहाड़ी क्षेत्र में ठंड और नमी दोनों बढ़ गई हैं.
VIDEO | Jammu and Kashmir: Fresh snowfall blankets Sonamarg as 'Chillai-Kalan' hits the region.
— Press Trust of India (@PTI_News) December 21, 2025
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पिछले करीब दो महीनों से कश्मीर में बारिश और बर्फबारी न होने से हालात चिंताजनक हो गए थे. नदियों, झरनों और जल स्रोतों में पानी का स्तर तेजी से गिर रहा था. सूखी ठंड के कारण जनजीवन के साथ साथ खेती और पेयजल व्यवस्था पर भी असर पड़ रहा था. ऐसे में यह बर्फबारी लोगों के लिए बड़ी राहत मानी जा रही है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने आने वाले दिनों में और बर्फबारी का अनुमान जताया है और ये भी बताया कि जम्मू कश्मीर के ऊंचाई वाले इलाकों में मध्यम से भारी बर्फबारी हो सकती है. यह सिलसिला अगले कुछ दिनों तक रुक रुक कर जारी रह सकता है. इससे ग्लेशियरों, नालों और झरनों को फिर से जीवन मिलने की उम्मीद है.
मौसम बदलने के बीच जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को शीतकालीन तैयारियों की समीक्षा की है. उन्होंने सड़कों की सफाई, बिजली आपूर्ति, पेयजल और आपात सेवाओं पर खास जोर दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी बर्फबारी के दौरान प्रशासन की तैयारी ही असली परीक्षा होगी.
उन्होंने बिजली विभाग को ट्रांसफार्मर और ईंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य सेवाओं के तहत दुर्गम इलाकों में 4x4 एंबुलेंस की तैनाती पर जोर दिया गया है. साथ ही जलभराव वाले इलाकों में पहले से पंप लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं.
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि कश्मीर में मौसम का यह असंतुलन जलवायु परिवर्तन का संकेत है. कभी अत्यधिक बारिश तो कभी लंबे सूखे दौर अब सामान्य होते जा रहे हैं. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अस्थायी राहत के साथ साथ दीर्घकालीन जल संरक्षण नीति बनाना जरूरी है.