भारत को किस साल मिल सकती है पहली महिला CJI, जानें सिर्फ 36 दिनों का क्यों होगा कार्यकाल?

Justice BV Nagarathna: न्यायमूर्ति बीआर गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली, उनका कार्यकाल छह महीने का होगा. एक संभावित महिला सीजेआई का कार्यकाल केवल 36 दिनों का हो सकता है, लेकिन यह सबसे छोटा कार्यकाल नहीं होगा.

Imran Khan claims
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Justice BV Nagarathna: साल 2027 भारत के न्यायिक इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ लेकर आएगा. 75 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद सुप्रीम कोर्ट को पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (CJI) मिलने जा रही हैं. जस्टिस बीवी नागरत्ना देश की पहली महिला CJI बनने की ओर अग्रसर हैं, लेकिन उनका कार्यकाल मात्र 36 दिन का होगा.

1947 में भारत को आजादी मिली और 1950 में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना हुई, लेकिन अब तक किसी महिला को CJI की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई. जस्टिस बीवी नागरत्ना पहली महिला होंगी जो 27 सितंबर 2027 को इस पद पर आसीन होंगी. यह दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा.

सिर्फ 36 दिन की कुर्सी!

हालांकि यह उपलब्धि बड़ी है, लेकिन जस्टिस नागरत्ना का कार्यकाल बेहद छोटा होगा — सिर्फ 36 दिन. यह सबसे छोटा कार्यकाल नहीं होगा, क्योंकि जस्टिस कमल नारायण सिंह केवल 17 दिनों के लिए CJI रहे थे. फिर भी, देश के लिए यह 36 दिन बेहद खास होंगे.

पिता की राह पर बेटी

जस्टिस नागरत्ना के पिता जस्टिस ईएस वेंकटरमैया भी भारत के 19वें मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. ऐसे में यह दूसरी बार होगा जब पिता और संतान दोनों देश के CJI बने हैं. यह परिवार के लिए गर्व और देश के लिए प्रेरणा की बात है.

महिला न्यायाधीशों की स्थिति

सुप्रीम कोर्ट में अब तक सिर्फ 11 महिला न्यायाधीश रही हैं. 'इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025' के अनुसार, हाई कोर्ट में सिर्फ 14% न्यायाधीश महिलाएं हैं. यह आंकड़ा दिखाता है कि न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी अब भी बहुत कम है.

'लंबी सेवा, लेकिन छोटा नेतृत्व'

जस्टिस नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट में 6 साल 2 महीने तक सेवा करेंगी — जो अब तक किसी भी महिला जज का सबसे लंबा कार्यकाल होगा. लेकिन बतौर CJI, उन्हें केवल 36 दिन का अवसर मिलेगा. फिर भी, उनका योगदान महिला न्यायाधीशों के लिए रास्ता खोलेगा.

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