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3 साल से कम उम्र के बच्चे को प्री-स्कूल भेजना गैरकानूनी, इसके लिए अभिभावक दोषी- गुजरात हाईकोर्ट

कोर्ट ने प्री-स्कूलों को लेकर भी सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि कोई भी प्री-स्कूल ऐसे बच्चे को एडमिशन नहीं दे सकता जिसने उस साल 1 जून को 3 साल की आयु पूरी न की हो.

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Sagar Bhardwaj
3 साल से कम उम्र के बच्चे को प्री-स्कूल भेजना गैरकानूनी, इसके लिए अभिभावक दोषी- गुजरात हाईकोर्ट

नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट ने बच्चों को  स्कूल भेजे जाने की न्यूनतम आयु को लेकर सख्त टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा कि 3 साल से कम उम्र के बच्चों को प्री-स्कूल भेजने के लिए मजबूर करने वाले माता-पिता गैरकानूनी कार्य कर रहे हैं.

कोर्ट ने प्री-स्कूलों को लेकर भी सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि कोई भी प्री-स्कूल ऐसे बच्चे को एडमिशन नहीं दे सकता जिसने उस साल 1 जून को 3 साल की आयु पूरी न की हो.

क्या है पूरा मामला
बता दें कि इस साल 1 जून को 6 साल की आयु पूरी न करने वाले बच्चों के अभिभावकों के एक समूह ने कक्षा एक में एडमिशन के लिए 6 साल की आयु सीमा निर्धारित करने वाली गुजरात सरकार की नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी.

अभिभावकों ने दलील दी थी कि उनके बच्चे प्री-स्कूल में 3 साल पूरे कर चुके हैं लेकिन 1 जून तक उन्होंने 6 साल की उम्र पूरी नहीं की है ऐसे में उन्हें वर्तमान ऐकेडमिक सेशन में उम्र सीमा में छूट दी जानी चाहिए.

कोर्ट ने कहा माता-पिता RTE अधिनियम के नियमों के उल्लंघन के दोषी

गुजरात हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा, 'प्री-स्कूल में 3 साल की प्रारंभिक देखभाल और शिक्षा बच्चे को औपचारिक स्कूल की कक्षा 1 में एडमिशन लेने के लिए तैयार करती है.'

बेंच ने आगे कहा, '6 साल की आयु पूरी नहीं करने वाले बच्चों के याचिकाकर्ता अभिभावक किसी भी तरह की छूट की मांग नहीं कर सकेत क्योंकि वे शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के तहत नियमों के उल्लंघन के दोषी हैं.'

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि उनके बच्चे कक्षा 1 में दाखिले के लिए तैयार हैं क्योंकि उन्होंने प्री-स्कूल में 3 साल की शिक्षा पूरी कर ली है, लेकिन तीन साल की आयु पूरी करने से पहले वे प्री-स्कूल में भर्ती ही क्यों किए गए और अब इनके माता-पिता कक्षा  1 में दाखिले के लिए आयु सीमा में छूट की मांग कर रहे हैं.

क्या कहती है नई शिक्षा नीति

बता दें कि 2020 में जारी की गई नई शिक्षा नीति (NEP) में कहा गया है कि 6 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रारंभिक देखभाल और शिक्षा की आवश्यकता होती है.

NEP के मुताबिक, एक बच्चे के संचयी मस्तिष्क का 85 प्रतिशत से अधिक विकास 6 साल की उम्र से पहले होता है और स्वास्थ्य मस्तिष्क के विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रारंभिक वर्षों में बच्चे की उचित देखभाल जरूरी है.

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