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India Daily

राजधानी एक्सप्रेस में सैनिक बना फरिश्ता, आठ महीने के बच्चे को CPR देकर लौटाई सांसें

Indian Army Soldier Saves Infants Life: नई दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस में एक आठ महीने के बच्चे की जान उस वक्त बच गई, जब भारतीय सेना के एक जवान ने अपनी छुट्टी से लौटते हुए ट्रेन में ही उसे सीपीआर देकर उसकी सांसें वापस लौटा दीं.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

Indian Army Soldier Saves Infants Life: भारत में ट्रेन यात्राएं अक्सर हजारों कहानियों की गवाह होती हैं- कुछ साधारण, तो कुछ इंसानियत की मिसाल बन जाती हैं. नई दिल्ली से असम की ओर जा रही राजधानी एक्सप्रेस में भी ऐसा ही एक पल देखने को मिला, जब एक सैनिक ने अपनी समझदारी और प्रशिक्षण से न केवल एक परिवार को गहरे दुख से बचाया, बल्कि मानवता की एक अद्भुत मिसाल पेश की.

राजधानी एक्सप्रेस में आठ महीने का एक बच्चा अचानक सांस लेने में तकलीफ महसूस करने लगा. कुछ ही पलों में वह पूरी तरह निढाल हो गया और उसकी मां बेहोश होकर गिर पड़ी. डिब्बे में अफरा-तफरी मच गई- किसी को समझ नहीं आया कि क्या किया जाए. बच्चे के परिजन रोने लगे और लोग मदद के लिए चिल्लाने लगे. तभी उसी डिब्बे में सफर कर रहे सेना के जवान सिपाही सुनील ने हालात को भांपा और तुरंत हरकत में आ गए.

फील्ड हॉस्पिटल के सिपाही ने किया चमत्कार

सुनील, जो कि उत्तर-पूर्व में तैनात 456 फील्ड हॉस्पिटल में एम्बुलेंस असिस्टेंट हैं, छुट्टी खत्म कर वापस ड्यूटी पर लौट रहे थे. उन्होंने तुरंत बच्चे की जांच की तो पाया कि उसकी धड़कन बंद हो चुकी थी और वह सांस नहीं ले रहा था. स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने ट्रेन में ही बाल चिकित्सा सीपीआर (Cardio Pulmonary Resuscitation) शुरू किया- दो उंगलियों से बच्चे की छाती पर दबाव डालते हुए और बीच-बीच में मुंह से सांस देकर. करीब दो बार के प्रयास के बाद बच्चे ने धीरे-धीरे सांस लेना शुरू किया. यह देख पूरे डिब्बे में तालियां और राहत की सांस गूंज उठी.

जीवन रक्षक क्षणों में दिखाया सैनिक का संयम

जब बाकी यात्री घबरा गए थे, तब सुनील ने असाधारण धैर्य और पेशेवर दक्षता का परिचय दिया. उन्होंने ट्रेन स्टाफ और रेलवे पुलिस से संपर्क किया ताकि बच्चे को अगले स्टेशन रांगिया (असम) पर तुरंत चिकित्सा सहायता मिल सके. डिफेंस अधिकारियों ने बताया कि अगर सुनील ने कुछ मिनट भी देर की होती, तो बच्चा शायद बच नहीं पाता.

सेना की भावना और मानवीय मूल्यों की मिसाल

रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'सिपाही सुनील की समय रहते की गई कार्रवाई ने एक अमूल्य जीवन को बचा लिया. जब कोई मेडिकल सहायता उपलब्ध नहीं थी, तब उन्होंने पूरी पेशेवर कुशलता से संकट को संभाला.' यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि भारतीय सेना के सैनिक सिर्फ सीमा पर ही नहीं, बल्कि हर परिस्थिति में जीवन के रक्षक हैं.