Indian Air Force MiG-21: भारतीय वायुसेना का सबसे प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक लड़ाकू विमान मिग-21 आखिरकार शुक्रवार यानी आज चंडीगढ़ में अपनी अंतिम उड़ान भरकर विदा ले रहा है. छह दशक तक भारत के आकाशीय कवच के रूप में सेवा देने वाले इस जेट को भावनात्मक अंदाज में विदाई दी जाएगी. बुधवार को हुए फुल ड्रेस रिहर्सल में मिग-21 ने जगुआर और सूर्य किरण एरोबेटिक टीम के साथ फॉर्मेशन उड़ान भरी. आकाश गंगा स्काइडाइवर्स ने 4000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर दर्शकों को चकित कर दिया.
समारोह में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह खुद मिग-21 के कॉकपिट में बैठकर उड़ान भरेंगे. इस ऐतिहासिक अंतिम उड़ान का नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा करेंगी. खास तौर पर 1965 और 1971 भारत-पाक युद्ध के दृश्यों को पुनर्जीवित किया जाएगा, जिसमें मिग-21 की वीरता का प्रदर्शन होगा. भारतीय वायुसेना की 23वाँ स्क्वाड्रन, जिसे 'पैंथर्स' के नाम से जाना जाता है, विजय स्वरूप में उड़ान भरेगा, जबकि मिग-21 और स्वदेशी तेजस का संयुक्त 'क्लाउड' फॉर्मेशन भारत की नई हवाई शक्ति का प्रतीक बनेगा.
We shall remember you, #MiG21! A legendary icon of the Indian Air Force, this fearless warrior has etched its valour across generations. As its final sortie marks the close of a historic era, the #IAF celebrates its legacy with pride and ushers in a bold new chapter of innovation… pic.twitter.com/kp4WUy3aeo
— Ministry of Defence, Government of India (@SpokespersonMoD) September 26, 2025Also Read
भावनात्मक विदाई के चरम क्षण में छह मिग-21 विमान एक साथ उतरेंगे और फिर हमेशा के लिए बंद कर दिए जाएंगे. भारतीय वायुसेना की परंपरा के अनुसार, इन विमानों को वॉटर कैनन सलामी दी जाएगी. इसके साथ ही मिग-21 की दो परिचालन स्क्वाड्रन कोब्राज और पैंथर्स औपचारिक रूप से डिकमीशन कर दी जाएंगी. इस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के प्रमुख, छह पूर्व वायुसेना प्रमुख और सभी वायुसेना कमांडों के कमांडर मौजूद रहेंगे.
मिग-21 का गौरवशाली इतिहास 1963 से शुरू हुआ जब सोवियत संघ में बने इस विमान को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया. कुल 874 मिग-21 भारत ने खरीदे, जिनमें आखिरी अपग्रेडेड 'बाइसन' संस्करण 2013 में शामिल हुआ. 1965 और 1971 के युद्धों में मिग-21 ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक भूमिका निभाई. 1971 में इसने ढाका गवर्नर हाउस पर बम गिराकर पाकिस्तानी नेतृत्व का मनोबल तोड़ा. 1999 के कारगिल युद्ध में भी यह सक्रिय रहा. 2019 के बालाकोट संघर्ष में मिग-21 बाइसन ने पाकिस्तान के आधुनिक F-16 को मार गिराकर अपनी ताकत फिर साबित की.
हालांकि, मिग-21 का रिकॉर्ड सुरक्षा के मामले में कमजोर रहा. 400 से अधिक मिग-21 हादसों का शिकार हुए. इंजन फेलियर, पुरानी तकनीक और खराब सर्विसिंग इसके कारण बने. बार-बार अपग्रेड और जीवनकाल बढ़ाने के बावजूद इसे 'फ्लाइंग कॉफिन' और 'विडो मेकर' जैसे उपनाम दिए गए. यही कारण है कि अब इसे इतिहास के पन्नों में दर्ज किया जा रहा है.