menu-icon
India Daily

डबल स्‍टैंडर्ड... विदेश मंत्री जयशंकर ने रूसी तेल को लेकर अमेरिका पर साधा निशाना

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को वैश्विक संघर्षों और आतंकवाद पर एक तीखा संदेश दिया और रूसी तेल पर अमेरिका के रुख पर परोक्ष रूप से निशाना साधा. उन्होंने बहुपक्षीय सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर भी जोर दिया.

auth-image
Edited By: Gyanendra Sharma
Jaishankar
Courtesy: Social Media

Foreign Minister Jaishankar targeted America: गुरुवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्‍यूयॉर्क में जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की एक मीटिंग को संबोधित किया. इस दौरान ऊर्जा खरीद, खासकर रूसी तेल के मामले में दोहरे मानदंडों की आलोचना की और वैश्विक संघर्षों से निपटने के लिए संवाद और कूटनीति की आवश्यकता पर बल दिया.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को वैश्विक संघर्षों और आतंकवाद पर एक तीखा संदेश दिया और रूसी तेल पर अमेरिका के रुख पर परोक्ष रूप से निशाना साधा. उन्होंने बहुपक्षीय सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया. जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए, कहा कि विदेश मंत्री ने साफ कहा कि दोहरे मानदंड साफ नजर आ रहे हैं.  उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जी-20 के सदस्य होने के नाते, राष्ट्रों की ज़िम्मेदारी है कि वे आतंकवाद का दृढ़ता से मुकाबला करके और मजबूत ऊर्जा एवं आर्थिक सुरक्षा की आवश्यकता को समझते हुए, बातचीत और कूटनीति के माध्यम से स्थिरता को मज़बूत करें और उसे और अधिक सकारात्मक दिशा दें. 

दोहरे मानदंड साफ दिखाई दे रहे

शांति और विकास पर बोलते हुए, जयशंकर ने चल रहे संघर्षों, विशेष रूप से यूक्रेन और गाजा में के प्रभाव पर प्रकाश डाला, जिसने ऊर्जा, खाद्य और उर्वरक सुरक्षा के मामले में वैश्विक दक्षिण द्वारा वहन की जा रही उच्च लागत को उजागर किया है. उन्होंने कहा, आपूर्ति और रसद को खतरे में डालने के अलावा, पहुंच और लागत भी राष्ट्रों पर दबाव का कारण बन गए हैं. दोहरे मानदंड साफ दिखाई दे रहे हैं. जयशंकर ने जोर देकर कहा कि शांति विकास को संभव बनाती है, लेकिन विकास को खतरे में डालने से शांति संभव नहीं हो सकती.

शांति विकास को संभव बनाती है

विदेश मंत्री जयशंकर ने जोर देकर कहा कि शांति विकास को संभव बनाती है, लेकिन विकास को खतरा पहुंचाने से शांति को बढ़ावा नहीं मिल सकता. उन्होंने चेतावनी दी कि कमज़ोर अर्थव्यवस्थाओं में ऊर्जा और अन्य जरूरी चीज़ों को और अनिश्चित बनाने से किसी को कोई फ़ायदा नहीं होता और उन्होंने देशों से आग्रह किया कि वे मामलों को और जटिल बनाने के बजाय बातचीत और कूटनीति की ओर बढ़ें.