Indian Air Defence System: दुनियाभर में अब हवाई सुरक्षा यानी एयर डिफेंस सिस्टम पर अभूतपूर्व ध्यान दिया जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह हाल के सैन्य संघर्ष हैं जैसे इस्राइल-हमास युद्ध और ईरान द्वारा इस्राइल पर मिसाइलों की बारिश. इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि भविष्य के युद्धों में सबसे पहली मार आसमान से ही आएगी. इसी कारण, अब हर देश एक सस्ता, लेकिन सशक्त एयर डिफेंस सिस्टम बनाने में जुटा है जो कम लागत में अधिकतम सुरक्षा दे सके.
अमेरिका भी पीछे नहीं है. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘गोल्डन डोम’ नामक भविष्य के मिसाइल डिफेंस सिस्टम की घोषणा की, जो 2029 तक ऑपरेशनल हो सकता है. यह सिस्टम आयरन डोम से एक कदम आगे होगा—बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों से लेकर ड्रोन तक, हर हवाई खतरे को ट्रैक और नष्ट कर सकेगा.
यह सिस्टम अंतरिक्ष आधारित सेंसर और सैटेलाइट नेटवर्क पर आधारित होगा, जिससे इसकी मारक क्षमता कहीं अधिक होगी.
इस्राइल का ‘आयरन डोम’: सफलता और सवाल
इस्राइल के आयरन डोम ने युद्ध के दौरान कई मिसाइलों को रोका, लेकिन इसकी सफलता दर पर सवाल भी उठे. हालांकि, इस्राइल ने दावा किया कि उसने 90% से अधिक मिसाइलों को इंटरसेप्ट किया. इसके अलावा, ‘डेविड्स स्लिंग’ और ‘एरो सिस्टम’ जैसे अन्य डिफेंस लेयर भी इस्राइल के पास हैं, जो मीडियम और लॉन्ग रेंज मिसाइलों को रोकने में सक्षम हैं.
भारत ने भी अब अपनी दिशा तय कर ली है. डीआरडीओ द्वारा प्रस्तावित ‘रक्षक-सुरक्षा कवच’ एक मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम है जिसमें निगरानी और हमला दोनों पहलुओं को जोड़ा गया है. इसमें सेटेलाइट, अर्ली वॉर्निंग सिस्टम, ड्रोन, लॉन्ग रेंज रडार और लेजर तकनीक शामिल हैं. हार्ड किल (मिसाइल), सॉफ्ट किल (जैमिंग), और आर्टिलरी जैसे कई हथियार इस प्रणाली का हिस्सा होंगे. खास बात ये है कि यह सिस्टम सस्ता, कुशल और तेज़ी से तैयार किया जा सकता है यानी भारत की ज़रूरतों के बिल्कुल अनुरूप.
अब जब दुनिया हवाई हमलों के नए खतरे की ओर बढ़ रही है, भारत का 'रक्षक-सुरक्षा कवच' एक सस्ता लेकिन बेहद सशक्त उत्तर बन सकता है. युद्ध अब सिर्फ ज़मीन पर नहीं, आसमान में भी लड़े जा रहे हैं, और भारत इसके लिए तैयार हो रहा है अपने तरीके से, अपने संसाधनों से.