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India Daily

क्या भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हो गया शुरू? जानें कौन करेगा इसका ऑफिशियल ऐलान, ये होती है प्रक्रिया

पाकिस्तान की उकसावे वाली हरकतों और गुरुवार रात को भारत की कड़ी जवाबी कार्रवाई से यह सवाल उठता है कि क्या परमाणु संपन्न पड़ोसी देश युद्ध की स्थिति में हैं? अगर हां, तो जानिए भारत में युद्ध की औपचारिक घोषणा कैसे की जाती है?

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Edited By: Mayank Tiwari
भारत-पाकिस्तान तनाव
Courtesy: A.I

भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव चरम पर पहुंच गया है. गुरुवार रात पाकिस्तान ने जम्मू, पठानकोट और उधमपुर में भारतीय सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला करने की असफल कोशिश की. भारतीय सशस्त्र बलों ने इन हमलों को न केवल नाकाम किया, बल्कि जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद, लाहौर और सियालकोट पर हमले किए. इस बीच, पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर युद्धविराम का उल्लंघन किया, जिसका भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह सैन्य कार्रवाई भारत के ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा थी, जिसमें भारतीय सेना ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया. एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा,“हमारी सेना ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है. इस कार्रवाई ने पाकिस्तान को उकसाया, जिसके बाद उसने भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की.

क्या दोनों देश युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं?

 

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या परमाणु संपन्न पड़ोसी देश युद्ध की स्थिति में है तो, भारत में युद्ध की औपचारिक घोषणा कैसे की जाती है? दरअसल, भारत में युद्ध की घोषणा करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास है, लेकिन इसका प्रयोग प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सलाह के आधार पर किया जाता है. भारतीय संविधान में युद्ध की औपचारिक घोषणा के लिए स्पष्ट रूप से कोई प्रक्रिया नहीं बताई गई है, जैसा कि कुछ अन्य देशों में है. हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा युद्ध जैसी स्थिति से संबंधित सबसे निकटतम संवैधानिक तंत्र है.

जानिए युद्ध की घोषणा कैसे होती है?

 

भारत के राष्ट्रपति: सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर (अनुच्छेद 53(2) के रूप में, राष्ट्रपति के पास युद्ध की घोषणा करने या शांति स्थापित करने का संवैधानिक अधिकार है. हालांकि, इस अधिकार का प्रयोग सरकार की सलाह के आधार पर किया जाता है.भारतीय संविधान का अनुच्छेद 53 कहता है कि संघ की कार्यकारी शक्ति भारत के राष्ट्रपति में निहित है. फिर भी, अनुच्छेद 74 के तहत, राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार काम करता है. इसलिए, राष्ट्रपति द्वारा युद्ध या शांति की कोई भी औपचारिक घोषणा पूरी तरह से मंत्रिमंडल की सलाह पर की जाती है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल: हालांकि, युद्ध में जाने या शांति की घोषणा करने का निर्णय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल (मंत्रिपरिषद) द्वारा लिया जाता है. ऐसे में रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद इस प्रक्रिया में मंत्रिमंडल को महत्वपूर्ण सलाह देते हैं. किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले, मंत्रिमंडल सैन्य प्रमुखों, खुफिया एजेंसियों और राजनयिक चैनलों से इनपुट ले सकता है. प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का नेतृत्व करते हैं, जो राष्ट्रपति को युद्ध की घोषणा की सिफारिश करने के लिए जिम्मेदार है. 1978 के 44वें संशोधन अधिनियम के अनुसार, राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल (जो युद्ध की स्थिति में लागू होता है) की घोषणा केवल मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश के आधार पर कर सकते हैं.

संसद: यद्यपि संसद संवैधानिक रूप से युद्ध की घोषणा करने या उसे पूर्व-अनुमोदित करने के लिए बाध्य नहीं है, फिर भी यह निगरानी और वित्तपोषण में भूमिका निभाती है: यह रक्षा बजट की देखरेख करती है. इसके पास सैन्य कार्रवाइयों पर बहस करने और सरकार को जवाबदेह ठहराने का अधिकार है.जबकि युद्ध की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा कैबिनेट की सलाह पर की जाती है, इसे बाद में मंजूरी के लिए लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सामने पेश किया जाना चाहिए.

युद्ध की घोषणा करने के लिए कोई औपचारिक नियम मौजूद नहीं!

हालांकि, भारतीय संविधान में "युद्ध की घोषणा" के लिए समर्पित कोई विशिष्ट अनुच्छेद या प्रक्रिया नहीं है. अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित प्रावधानों को युद्ध या बाहरी आक्रमण की स्थिति में लागू किया जाता है.

इतिहास में युद्ध की घोषणा!

1947-48 का भारत-पाकिस्तान युद्ध (पहला कश्मीर युद्ध): यह युद्ध आदिवासी मिलिशिया और पाकिस्तानी सेना द्वारा कश्मीर पर आक्रमण के साथ शुरू हुआ. कश्मीर के महाराजा के भारत में विलय के बाद भारत ने जवाब दिया. दोनों पक्षों की ओर से युद्ध की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई थी.

1962 का भारत-चीन युद्ध: यह युद्ध विवादित सीमा पर बड़े पैमाने पर चीनी आक्रमण से शुरू हुआ था. भारत इस युद्ध से आश्चर्यचकित था. भारत या चीन की ओर से युद्ध की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई थी. चीन ने एकतरफा युद्ध विराम की घोषणा की और लगभग एक महीने बाद वापस चला गया.

1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध: यह युद्ध सीमा पर झड़पों और कश्मीर में पाकिस्तान के ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम से आगे बढ़ा. भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके जवाबी कार्रवाई की. फिर से, बड़े पैमाने पर शत्रुता से पहले युद्ध की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई थी. संघर्ष संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में युद्ध विराम और ताशकंद घोषणा के साथ समाप्त हुआ.

1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध (बांग्लादेश मुक्ति युद्ध): यह युद्ध पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में राजनीतिक संकट और मानवीय संकट से उपजा था. शरणार्थियों की बड़ी संख्या में आमद के बाद भारत ने बंगाली मुक्ति आंदोलन के समर्थन में हस्तक्षेप किया. हालांकि संघर्ष बड़ा था, लेकिन भारत की सैन्य भागीदारी से पहले युद्ध की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई थी.पाकिस्तान ने भारतीय हवाई अड्डों पर हवाई हमले शुरू किए, जिसके कारण भारत ने युद्ध में पूरी तरह से प्रवेश किया.

1999 का कारगिल युद्ध: यह संघर्ष कारगिल क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों की घुसपैठ से शुरू हुआ था. भारत ने 'ऑपरेशन विजय' के साथ जवाब दिया, जो एक सीमित संघर्ष था, और दोनों पक्षों द्वारा युद्ध की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई थी.