भारत में बढ़ती गर्मी, बदलते मौसम पैटर्न और फूड डिलीवरी की बढ़ती आदतों ने पैकेजिंग सुरक्षा को लेकर नई चिंता खड़ी कर दी है. इसी के चलते केंद्र सरकार ने प्लास्टिक पैकेजिंग पर एक विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन की योजना बनाई है.
इस अध्ययन का उद्देश्य यह समझना है कि ऊंचे तापमान, लंबी ट्रांसपोर्ट अवधि और नमी के बढ़ते स्तर में प्लास्टिक से केमिकल्स के लीच होने का खतरा कितना बढ़ता है. इसके आधार पर साल 2018 के पैकेजिंग नियमों को अपडेट करने की संभावना है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की स्टैंडर्डाइजेशन विंग, ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS), इस अध्ययन को अंजाम देगी. इसमें PET, रीसाइकल्ड PET, पॉलीकार्बोनेट और लैमिनेटेड फिल्म्स जैसे अलग-अलग प्लास्टिक को गर्मी व नमी में कितनी केमिकल लीचिंग होती है, इसका परीक्षण किया जाएगा. इसका मकसद यह देखना है कि मौजूदा सुरक्षा सीमाएं बदलते पर्यावरण में पर्याप्त हैं या नहीं.
अध्ययन के निष्कर्षों के बाद यह तय होगा कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स (पैकेजिंग) रेगुलेशंस, 2018 में बदलाव जरूरी हैं या नहीं. नियमों में कोई भी बदलाव आने पर ज़ोमैटो और स्विगी जैसी बड़ी फूड डिलीवरी कंपनियों पर अनुपालन का अतिरिक्त बोझ बढ़ सकता है. यह मुद्दा देश के 22.48 बिलियन डॉलर के प्लास्टिक पैकेजिंग मार्केट और 48 बिलियन डॉलर के फूड डिलीवरी सेक्टर के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
भारत में लगातार रिकॉर्ड गर्मी और हीट वेव्स के चलते पैकेजिंग की मजबूती और सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. उत्तरी और पश्चिमी भारत में तापमान में छोटी वृद्धि भी पैकेजिंग की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि बदलती जलवायु परिस्थितियों में सुरक्षा का आकलन सिर्फ वैश्विक मानकों पर निर्भर नहीं रह सकता.
कंज्यूमर वॉइस के सीईओ असीम सन्याल ने कहा कि भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश में स्थानीय परिस्थितियों में पैकेजिंग सुरक्षा की जांच बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि यह अध्ययन अन्य देशों के लिए भी मॉडल बन सकता है, जहां पैकेजिंग प्रदर्शन पर वातावरण का समान प्रभाव देखा जाता है. यह पहल उपभोक्ता सुरक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से अहम मानी जा रही है.
ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन प्रोवाइडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अंकित गुप्ता ने इसे “टाइमली और आवश्यक कदम” बताया. उनका कहना है कि उपभोक्ताओं की बढ़ती चिंताओं के बीच पैकेजिंग की गुणवत्ता, प्रामाणिकता और ट्रेसबिलिटी सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है. उन्होंने जोड़ा कि बदलती जलवायु के दौर में सुरक्षित और टिकाऊ पैकेजिंग को बढ़ावा देने में यह अध्ययन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.