देश में सड़क और रेल यातायात के बीच समन्वय की कमी एक बार फिर मासूम जिंदगियों पर भारी पड़ी. तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में शुक्रवार सुबह हुए एक भीषण हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया. एक स्कूल वैन, जो बच्चों को लेकर स्कूल जा रही थी, रेलवे फाटक पार करते समय एक पैसेंजर ट्रेन की चपेट में आ गई. इस हादसे में तीन बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि अन्य घायल हो गए. इस दर्दनाक घटना के बाद पूरे राज्य में शोक और गुस्से का माहौल है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह हादसा सुबह 7:45 बजे कुड्डालोर जिले के कुमारापुरम क्षेत्र में स्थित लेवल क्रॉसिंग गेट नंबर 170 पर हुआ है. स्कूल वैन कृष्णास्वामी विद्यालय के बच्चों को लेकर जा रही थी. इसी दौरान ट्रेन नंबर 56813 (विल्लुपुरम–मयिलाडुथुरै पैसेंजर) वहां से गुज़री और वैन से सीधी टक्कर हो गई. हादसे में 12 और 15 साल के दो लड़कों और 16 साल की एक लड़की की मौत हो गई. वहीं दो अन्य बच्चे, वैन चालक और एक स्थानीय व्यक्ति घायल हो गए. रेलवे ने शुरुआत में दावा किया कि फाटक बंद किया जा रहा था और वैन चालक ने जल्दबाज़ी में क्रॉसिंग करने की ज़िद की, जिससे यह हादसा हुआ.
रेलवे के दावे के उलट, घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीदों और पीड़ितों ने बताया कि फाटक पूरी तरह खुला था और कोई चेतावनी सायरन भी नहीं बजा था. एक 15 वर्षीय घायल छात्र ने मीडिया को बताया कि वैन आमतौर पर फाटक बंद होने पर रुकती थी, लेकिन उस दिन फाटक खुला था और ट्रेन का कोई संकेत नहीं मिला. वैन चालक और एक खेत में काम कर रहे किसान ने भी यही बात दोहराई. घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने फाटक कर्मी के साथ मारपीट भी की.
दुर्घटना के बाद दक्षिण रेलवे ने मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 2.5 लाख और अन्य को 50,000 रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की है. राज्य के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी मृत बच्चों के परिवारों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 5 लाख रुपये देने का ऐलान किया है. रेलवे की ओर से यह भी कहा गया कि घटनास्थल पर पहले से ही एक अंडरपास की योजना स्वीकृत है, लेकिन ज़िलाधिकारी की अनुमति के अभाव में वह पूरा नहीं हो सका. यह बयान स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाता है. अब यह ज़रूरी हो गया है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं.