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India Daily

HMPV का गुजरात में बढ़ता आतंक, 4 साल का बच्चा अस्पताल में भर्ती

कोरोना महामारी के बाद लोग किसी भी तरह के वायरस से डरने लगे हैं.लेकिन एक बार फिर भारत में HMPV वायरस ने पैर पसारना शुरू कर दिया है. गुजरात के अहमदाबाद में इसके नए मामला सामना आए हैं.

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Edited By: Shanu Sharma
Gujarat HMPV Case
Courtesy: Social Media

Gujarat HMPV Case: भारत में HMPV वायरस धीरे-धीरे अपने पैर पसारते जा रहा है. अब गुजरात के अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल से इस केस का नया मामला सामने आया है. जिसमें एक  4 वर्षीय बालक में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस का संक्रमण पाया गया है. इसी के साथ पिछले 10 दिनों में अहमदाबाद में एचएमपीवी के मामलों की संख्या पांच हो गई है.

इस मामले की जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि टेस्ट के बाद बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बच्चे को बुखार और खांसी की समस्या हो रही थी, जिसके बाद उसके परिवार वालों ने अस्पताल पहुंचाया था.

वायरस का गुजरात में बढ़ रहा आतंक

अहमदाबाद नगर निगम के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि आज (बुधवार) चार वर्षीय बालक में एचएमपीवी संक्रमण का पता चला है. यह बच्चा शहर के कृष्णानगर निवासी  है, जिसको खांसी, जुकाम और बुखार के साथ 13 जनवरी को जाइडस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने बताया कि उसी दिन अस्पताल द्वारा किए गए परीक्षण में बालक में एचएमपीवी का संक्रमण पाया गया. नगर निगम के अधिकारी ने बताया कि गुजरात में अब तक पाए गए पांच एचएमपीवी मामलों सामने आए हैं. जिसमें तीन अहमदाबाद और एक गुजरात के कच्छ जिले से है. इसके अलावा राजस्थान से भी एक मामला सामने आया है.

रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस

चीन में प्रकोप के बाद इस बीमारी के लोगों के ध्यान में आने के बाद अहमदाबाद में इस सीजन का पहला एचएमपीवी मामला 6 जनवरी को सामने आया था. 2001 में खोजा गया एचएमपीवी पैरामाइक्सोविरिडे परिवार से संबंधित है. यह रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस से थोड़ा मिलता जुलता लगता है. हालांकि यह उससे अगल है, जिसमें वायरल रोगजनक है जो सभी वर्ग के लोगों में श्वसन संक्रमण का कारण बनता है. यह वायरस खांसने या छींकने से निकलने वाली श्वसन बूंदों के साथ-साथ दूषित सतहों को छूने या संक्रमित व्यक्तियों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है. कोरोना की तरह इस बीमारी के फैलने के डर के कारण लोगों में टेंशन का माहौल है. हालांकि सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक यह बीमारी केवल बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित कर रही है. वहीं खतरा भी कम बताया गया है.