menu-icon
India Daily
share--v1

रात 2 बजे खुला ज्ञानवापी का व्यास तहखान, कोर्ट के आदेश के बाद हुई पूजा-अर्चना, भक्तों को बांटा गया प्रसाद

स्लिम पक्ष के वकील अखलाक अहमद ने कहा कि वे वाराणसी अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. अखलाक अहमद ने कहा कि हम फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट जाएंगे.

auth-image
Om Pratap
Gyanvapi Vyas Ka Tekhana Regular worship started Security tightened complex

हाइलाइट्स

  • मुस्लिम पक्ष के वकील बोले- बाबरी वाला रवैया अपनाया जा रहा है
  • हिंदू पक्ष के वकील बोले- सभी को पूजा करने का अधिकार होगा

Gyanvapi Vyas Ka Tekhana Regular worship started: ज्ञानवापी से जुड़ी बड़ी खबर आ रही है. वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद देर रात व्यास जी का तहखाना खोल दिया गया. इसके बाद तहखाने में नियमित रूप से पूजा-अर्चना की शुरुआत हो गई. आज तड़के यानी गुरुवार सुबह तहखाने में मौजूद मूर्तियों की पूजा अर्चना की गई.

जानकारी के मुताबिक, बुधवार को कोर्ट की ओर से तहखाने को खोलने के आदेश दिए गए थे. बता दें कि तहखाने को खोलने के आदेश के बाद ज्ञानवापी को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. भारी संख्या में पुलिस को यहां सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात किया गया है. 

वकील बोले- हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं

कोर्ट की ओर से व्यास जी के तहखाने में पूजा की अनुमति दिए जाने के बाद वकील सोहन लाल आर्य ने कहा कि आज हम बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. अदालत का कल (बुधवार) का फैसला अभूतपूर्व था. एक अन्य भक्त ने कहा कि हम सभी हर दिन तड़के 3 बजे यहां दर्शन के लिए आते हैं. हम अदालत के आदेश से बेहद खुश और भावुक हैं. हमारा खुशी की कोई सीमा नहीं है. वहीं, वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) एस राजलिंगम ने कहा कि हमने अदालत के आदेश का अनुपालन किया है. ज्ञानवापी परिसर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. 

मुस्लिम पक्ष बोला- आदेश को हाई कोर्ट में देंगे चुनौती

वहीं, ज्ञानवापी मामले में कोर्ट के आदेश के बाद मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट जाने की बात कही है. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि कोर्ट ने जो फैसला लिया है उससे पूरा मामला तय हो गया है. यह पूजा स्थल कानून, 1991 का उल्लंघन है. यह पूरी तरह से गलत फैसला है. बता दें कि बुधवार को वाराणसी कोर्ट के आदेश पर हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर 'व्यास जी के तहखाना' क्षेत्र में पूजा अर्चना की अनुमति दी थी. कोर्ट ने जिला प्रशासन को अगले सात दिनों में जरूरी इंतजाम करने को कहा.

कोर्ट की ओर से पूजा करने की अनुमति देने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाक अहमद ने कहा कि वे वाराणसी अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. अखलाक अहमद ने कहा कि हम फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट जाएंगे. आदेश में 2022 की एडवोकेट कमिश्नर रिपोर्ट, एएसआई की रिपोर्ट और 1937 के फैसले को नजरअंदाज किया गया है, जो हमारे पक्ष में था. हिंदू पक्ष ने कोई सबूत नहीं रखा है कि 1993 से पहले प्रार्थनाएं होती थीं. उस स्थान पर ऐसी कोई मूर्ति नहीं है. 

वकील बोले- बाबरी वाला रवैया अपनाया जा रहा है

वहीं, वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि वे इस आदेश को लेकर ऊपरी अदालतों में जायेंगे. उन्होंने कहा कि मैं ऐसे किसी भी आदेश को स्वीकार नहीं करूंगा. जिलाधिकारी और जिला अध्यक्ष दोनों मिलकर काम कर रहे हैं. हम कानूनी तौर पर इससे लड़ेंगे. ये राजनीतिक लाभ लेने के लिए हो रहा है. वही रवैया अपनाया जा रहा है, जो बाबरी मस्जिद मामले में अपनाया गया था. कमिश्नर की रिपोर्ट और एएसआई की रिपोर्ट में पहले कहा गया था कि अंदर कुछ भी नहीं था.  

हिंदू पक्ष के वकील बोले- सभी को पूजा करने का अधिकार होगा

हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद, 7 दिनों के भीतर पूजा शुरू हो जाएगी. सभी को पूजा करने का अधिकार होगा. उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष को 'व्यास का तहखाना' में पूजा करने की अनुमति है. उन्होंने बताया कि मस्जिद के तहखाने में चार 'तहखाने' हैं, जिनमें से एक अभी भी व्यास परिवार के कब्जे में है, जो वहां रहते थे. व्यास परिवार ने याचिका दायर की थी कि वंशानुगत पुजारी के रूप में उन्हें तहखाना में प्रवेश करने और पूजा फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाए.