GST Reform: जीएसटी की दरों में बदलाव कर भारत सरकार ने 2017 के बाद भारत का सबसे बड़ा कर सुधार किया है. इस सुधार के साथ ही भारत ने ट्रंप की टैरिफ नीतियों से पिटने की भी तैयारी कर ली है. यह टक्कर भारत की जीडीपी वृद्धि, मुद्रास्फीति की दिशा और राजकोषीय घाटे को लंबे समय तक प्रभावित करेगी.
एक्सपर्ट्स क का मानना है कि जीएसटी दरों में तर्कसंगत कमी से उपभोग बढ़ेगा, जो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के रूस तेल खरीद को लेकर लगाए गए टैरिफ के आर्थिक झटके को कम करेगा. एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्या कांति घोष ने बताया, "जीएसटी दरों में कमी से उपभोग में वृद्धि होगी, जो किसी भी राजस्व प्रभाव को नकार देगी." उन्होंने बताया कि राजकोषीय घाटे पर असर नगण्य या सकारात्मक हो सकता है. घोष ने पहले भी अनुमान लगाया था कि अगले 12 महीनों में जीएसटी सुधार से जीडीपी में 60 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि अमेरिकी टैरिफ वृद्धि को 1% तक प्रभावित कर सकते हैं.
उपभोक्ताओं के पास आएगा ज्यादा कैश
जीएसटी दरों में कटौती से उपभोक्ताओं के पास अधिक नकदी आएगी, जो भारत की जीडीपी का 60% हिस्सा रखने वाले उपभोग को गति देगी. डीबीएस ग्रुप रिसर्च के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव के अनुसार, साल के दूसरे छमाही में यह कदम वृद्धि को बढ़ावा देगा और औपचारिक अर्थव्यवस्था का दायरा बढ़ाएगा.
लंबे समय में सरकार के लिए फायदे का सौदा
राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव के मुताबिक, इस बदलाव से राजस्व पर 48,000 करोड़ रुपये का शुद्ध प्रभाव पड़ेगा, लेकिन यह वित्तीय रूप से टिकाऊ रहेगा. विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह कदम सीपीआई मुद्रास्फीति को 1.1% तक कम कर सकता है, जिससे वास्तविक उपभोग बढ़ेगा और वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी वृद्धि में 30-70 बेसिस पॉइंट्स का योगदान हो सकता है.
किन सेक्टरों को होगा फायदा
ऑटो, सीमेंट और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं जैसे क्षेत्रों को इस कटौती से फायदा होगा. हालांकि, 48,000 करोड़ रुपये (जीडीपी का 0.13%) के सीधे राजस्व नुकसान का जोखिम भी है. मासिक जीएसटी संग्रह 1.8-1.95 लाख करोड़ रुपये के औसत पर चल रहा है, जो नुकसान का कुछ हिस्सा पूरा कर सकता है, लेकिन अल्पकालिक वित्तीय गणित कड़ा होगा. बिना खर्च में कटौती या दक्षता बढ़ोतरी के, राजकोषीय घाटा बजट लक्ष्य 4.4% से बढ़कर 4.5-4.6% तक जा सकता है.
ट्रंप का टैरिफ होगा बेअसर
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, जहां वित्त वर्ष 2025 में 80-87 अरब डॉलर का निर्यात हुआ, जो जीडीपी का 2-2.5% है. सिटीग्रुप का अनुमान है कि 50% संयुक्त अमेरिकी टैरिफ से वार्षिक जीडीपी वृद्धि में 60-80 बेसिस पॉइंट्स का नुकसान हो सकता है. रुपये पर दबाव बढ़ा है, जो रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिससे कच्चे तेल और इलेक्ट्रॉनिक्स इनपुट की आयात लागत बढ़ेगी और खुदरा मुद्रास्फीति में 10-30 बेसिस पॉइंट्स का इजाफा हो सकता है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी सुधार टैरिफ उथल-पुथल से प्रभावित नहीं हैं और जीडीपी पर "बहुत सकारात्मक" प्रभाव डालेंगे. श्रीवास्तव ने जोड़ा, "जीएसटी स्थिर नहीं है, दरें कम होने से संग्रह में वृद्धि होती है." यदि भारत निर्यात झटके को झेलते हुए जीएसटी से उपभोग बढ़ा सके, तो यह मजबूत हो सकता है, लेकिन अल्पकाल में नीति निर्माताओं के सामने उपभोग समर्थन, मुद्रा प्रबंधन और वित्तीय विश्वसनीयता का संतुलन चुनौतीपूर्ण होगा.