भारत सरकार ने साल 2034 तक देशभर में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की योजना बनाई है. बता दें कि, यह महत्वाकांक्षी कदम 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' संवैधानिक संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद लागू होगा. इसके तहत 2029 के बाद चुनी गई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 2034 के लोकसभा चुनाव के साथ समन्वित करने के लिए छोटा किया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "उदाहरण के लिए, भारत के सबसे बड़े चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश में 2032 में चुनी गई विधानसभा का कार्यकाल केवल दो वर्ष हो सकता है, ताकि इसे 2034 के लोकसभा चुनाव के साथ समन्वित किया जा सके." यह व्यवस्था देशभर में एकसमान चुनावी चक्र स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
जानिए बिल के क्या हैं प्रमुख प्रावधान!
संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के प्रावधान शामिल हैं. इसके लिए राष्ट्रपति सामान्य चुनाव के बाद लोकसभा के सत्र शुरू होने पर अधिसूचना जारी कर सकते हैं. इस तारीख के बाद गठित सभी विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पांच साल के कार्यकाल के साथ समाप्त होगा. यदि लोकसभा या कोई विधानसभा अपने पांच साल के कार्यकाल से पहले भंग होती है, तो बाकी अवधि के लिए चुनाव होंगे, जो अगले एकसाथ चुनाव चक्र के साथ तालमेल में होंगे.
चुनाव आयोग को विशेष अधिकार
यदि भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) यह तय करता है कि किसी राज्य में एकसाथ चुनाव संभव नहीं हैं, तो वह राष्ट्रपति को उस चुनाव को स्थगित करने की सिफारिश कर सकता है. राष्ट्रपति तब चुनाव को बाद में कराने का आदेश दे सकते हैं. यह नया विधेयक ईसीआई को बिना संसदीय मंजूरी के चुनाव स्थगित करने की सिफारिश करने का अधिकार देता है, जो वर्तमान अनुच्छेद 356 से अलग है.
जेपीसी की सक्रियता
राजस्थान के पाली से भारतीय जनता पार्टी के सांसद पीपी चौधरी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि सदस्यों में कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा करने का सर्वसम्मति है." समिति ने महाराष्ट्र और उत्तराखंड का दौरा किया है और हितधारकों से सुझाव ले रही है. ये विधेयक पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में पेश किए गए थे.