नई दिल्ली: नॉर्थ गोवा के अर्पोरा स्थित नाइटक्लब में लगी आग में 25 लोगों की मौत के बाद फरार हुए क्लब मालिक सौरभ और गौरव लूथरा की जल्द भारत वापसी लगभग तय मानी जा रही है.
गोवा पुलिस ने पुष्टि की है कि थाईलैंड में जारी डिपोर्टेशन प्रक्रिया अंतिम चरण में है और केंद्र सरकार व थाई अधिकारियों से लगातार संपर्क बना हुआ है. इस दर्दनाक हादसे के बाद कई गंभीर खुलासे हुए हैं, जिनमें फर्जी दस्तावेज, सुरक्षा लापरवाही और अवैध निर्माण प्रमुख हैं.
लूथरा ब्रदर्स भारत से भागकर थाईलैंड पहुंच गए थे, लेकिन पासपोर्ट रद्द होने और इंटरपोल की ब्लू नोटिस के बाद उन्हें वहीं गिरफ्तार कर लिया गया. गोवा पुलिस का कहना है कि डिपोर्टेशन की प्रक्रिया जारी है और उम्मीद है कि दोनों को अगले सप्ताह की शुरुआत तक भारत लाया जा सकेगा. इसके बाद उन्हें सीधे हिरासत में लिया जाएगा और विस्तृत पूछताछ शुरू होगी.
अभी तक क्लब के चार मैनेजरों समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें क्लब के चीफ जनरल मैनेजर राजीव मोडक, गेट मैनेजर प्रियांशु ठाकुर, बार मैनेजर राजवीर सिंघानिया और जनरल मैनेजर विवेक सिंह शामिल हैं. इसके अलावा क्लब के संचालन से जुड़े भारत सिंह कोहली और को-ओनर अजय गुप्ता को भी गिरफ्तार किया गया है. पुलिस अब तक 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है.
जांच में सामने आया है कि क्लब को चलाने के लिए लूथरा ब्रदर्स ने जमीन के एक विवादित समझौते की कथित फर्जी कॉपी का इस्तेमाल किया था. जमीन विवाद अभी अदालत में लंबित है, लेकिन इसी दस्तावेज के सहारे क्लब को अनुमति मिल गई. गांव के सरपंच रोशन रेडकर और पंचायत सचिव रघुवीर बागकर भी अब पुलिस के रडार पर हैं और बयान दर्ज कराने अदालत से अंतरिम संरक्षण लेने के बाद थाने पहुंचे.
क्लब में 11:45 बजे लगी भीषण आग के पीछे कई लापरवाहियां सामने आई हैं. पुलिस के अनुसार बेली डांस कार्यक्रम के दौरान इलेक्ट्रिक पाइरोगन चलाए गए, जिससे छप्पर वाली छत ने तुरंत आग पकड़ ली. केवल एक-दो निकास द्वार, शराब की बोतलों का ढेर और अत्यधिक भीड़ ने आग को और भयावह बना दिया. आग इतनी तेजी से फैली कि 300 वर्गमीटर में बना पूरा ढांचा कुछ ही मिनटों में जलकर राख हो गया.
आधिकारियों के अनुसार, हादसे के बाद जब फायर ब्रिगेड आग बुझाने में लगी थी, उसी समय लूथरा ब्रदर्स ने रात 1:17 बजे थाईलैंड की टिकट बुक की और सुबह 5:30 बजे उड़ान भरकर देश छोड़ दिया. उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर लगभग 24 घंटे बाद जारी किया गया. FIR में उन पर गैर-इरादतन हत्या, लापरवाही और ज्वलनशील सामग्री के गलत इस्तेमाल की धाराएं लगाई गई हैं. सरकारी अधिकारी भी मजिस्ट्रेट जांच के अधीन हैं.