नई दिल्ली. भारत में पहली बार G20 का शिखर सम्मेलन हो रहैा है. इस सम्मेलन को लेकर भारत समेत पूरे विश्व की नजर अभी भारत पर है. ऐसे में दिल्ली और दिल्ली से सटे शहरों को सजाने का काम चल रहा था. जो आठ सितम्बर तक चला. इस बीच दिल्ली एनसीआर के डॉग लवर्स ने कुत्तों को लेकर अपनी मांग रखी है. G20 के बाद कुत्तों को इज्जत के साथ वापस अपने जगह पर नहीं छोड़ा गया तो वो आंदोलन करेंगे. आखिर क्या है मामला बताते हैं विस्तार से.
कुत्तों को भी है इज्जत से रहने का अधिकार
संजय महापात्रा डॉग लवर हैं, वो दिल्ली एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) के अधिकारियों से मिलकर मेमोरेंडम दिया हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से कुत्तों को जबरन घसीटकर और बेहरहमी से सड़कों पर से हटाया गया है वो किसी सभ्य समाज के लिए ठीक नहीं है. संजय बताते हैं कि दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन चल रहा है वो हमारे लिए गर्व की बात है लेकिन बेजुबानों के साथ इस तरह का व्यवहार सही नहीं है. हमारे देश में जानवरों के साथ भी इज्जत से पेश आने का कल्चर रहा है, कुत्तों को भी इज्जत से रहने का अधिकार है. एनिमल क्रुएलिटी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
लड़ी जाएगी लम्बी लड़ाई
संजय महापात्रा बताते हैं कि 10 सितम्बर को G20 शिखर सम्मेलन खत्म हो रहा है, लेकिन जिन कुत्तों को अपने घर के पास से विस्थापित किया गया है क्या एमसीडी उनको उसी जगह पर छोड़ेगी? उनका अपना एक परिवेश है, जिससे वो दूर हो जाएंगे. नियम के अनुसार कुत्तों को आप वायर से बांध नहीं सकते,पीट नहीं सकते लेकिन G20 सम्मेलन से पहले जितने भी अभियान कुत्तों के खिलाफ चलाए गए सब नियम के विरुद्ध चलाए गए. इस सबके खिलाफ लम्बी लड़ाई चलाई जाएगी.
क्या कहता है नियम?
पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम 1960 में बदलाव किए गए थे,साल 2002 में हुए इस संशोधन के अनुसार आवारा कुत्तों को देश का मूल निवासी माना गया है. वह जहां भी चाहे रह सकते हैं. उनको भगाने और हटाने का अधिकार किसी के पास नहीं है. इस नियम के तहत सजा का प्रावधान भी है.अगर कोई ऐसा करता पाया जाता है तो उसे पांच साल की सजा तक हो सकती है.
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