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India-France Ties: भारत पहुंचा फ्रांस का विमानवाहक पोत 'चार्ल्स डी गॉल', एक्‍शन में फ्रांसीसी नौसेना, निशाने पर कौन?

यह पोत हाल ही में प्रशांत महासागर में विभिन्न सहयोगी देशों के साथ कई सैन्य अभ्यासों में भाग ले चुका है, जिसमें इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ भी संयुक्त अभ्यास शामिल हैं. अब यह पोत मोरमुगाओ पोर्ट से लौटते हुए भारतीय नौसेना के साथ एक और महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास करेगा, जो द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगा.

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Edited By: Mayank Tiwari
विमान वाहक पोत चार्ल्स डी गॉल
Courtesy: Social Media

फ्रांस का परमाणु ऊर्जा से चलने वाला विमान वाहक पोत चार्ल्स डी गॉल और इसका पूरा कैरियर स्ट्राइक (सीएसजी) भारत पहुंच गया है. जोकि, इस समय गोवा के मोरमुगाओ पोर्ट ट्रस्ट जेटी पर खड़ा है. हालांकि, अगले कुछ दिनों में, यह विमानवाहक पोत भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के साथ संयुक्त अभ्यास करेगा, जिसमें फ्रांसीसी राफेल मैरिन लड़ाकू विमान भी शामिल होंगे. इसके बाद यह ला पेरोस अभ्यास के लिए इंडोनेशियाई क्षेत्र और फिर प्रशांत महासागर में पैसिफिक स्टेलर अभ्यास के लिए जाएगा. इसे भारत-फ्रांस के बीच मजबूत होती रक्षा साझेदारी और रणनीतिक संबंधों का शक्तिशाली प्रदर्शन माना जा रहा है.

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस युद्धपोत के साथ तैनात युद्धपोत भारतीय नौसेना के साथ वरुण अभ्यास के 42वें संस्करण का आयोजन करेंगे. यह अभ्यास भारतीय और फ्रांसीसी नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने और समुद्र में एक साथ काम करने की क्षमता को मापने के उद्देश्य से किया जाता है.  मौजूदा समय में चार्ल्स डी गॉल के साथ सीएसजी हिंद महासागर में है. जहां यह भारत समेत क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ संयुक्त प्रशिक्षण कर रहा है.

फ्रांस और भारत का ये अभ्यास द्विपक्षीय संबंधों को करेगा मजबूत  

बता दें कि, यह पोत हाल ही में प्रशांत महासागर में विभिन्न सहयोगी देशों के साथ कई सैन्य अभ्यासों में भाग ले चुका है, जिसमें इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ भी संयुक्त अभ्यास शामिल हैं. अब यह पोत मोरमुगाओ पोर्ट से लौटते हुए भारतीय नौसेना के साथ एक और महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास करेगा, जो द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगा.

जानिए चार्ल्स डी गॉल विमान वाहक पोत की खासियत?

फ्रांस का परमाणु ऊर्जा से संचालित विमान वाहक पोत चार्ल्स डी गॉल न केवल फ्रांस का प्रमुख सैन्य जहाज है, बल्कि यह एक विशाल कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) का हिस्सा भी है. इस ग्रुप में विध्वंसक, फ्रिगेट और अन्य युद्धपोतों की बड़ी संख्या शामिल है, जो समुद्र में युद्ध की स्थिति में अपनी अद्वितीय ताकत दिखाते हैं.

भारत और फ्रांस का सैन्य सहयोग: एक मजबूत साझेदारी

फ्रांसीसी दूतावास ने कहा कि भारत 1998 से फ्रांस का सबसे प्रमुख रणनीतिक साझेदार रहा है। दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग अत्यंत उत्कृष्ट रहा है, जो कई द्विपक्षीय अभ्यासों में परिलक्षित होता है. इन अभ्यासों में प्रमुख रूप से भूमि पर शक्ति, समुद्र में वरुण और हवा में गरुड़ शामिल हैं. भारत ने फ्रांसीसी नौसेना के जहाजों द्वारा किए गए कई परिचालन स्टॉपओवर की मेज़बानी की है. 2022 से अब तक 16 बंदरगाह कॉल किए जा चुके हैं.

हिंद महासागर में सामूहिक सुरक्षा की दिशा में फ्रांस का योगदान

फ्रांस हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) का सदस्य है, जिसे भारत ने 2008 में स्थापित किया था. यह मंच हिंद महासागर क्षेत्र के 25 देशों की नौसेनाओं को एकजुट करता है और समुद्री सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को हल करने में सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देता है. IONS का उद्देश्य अवैध तस्करी, मछली पकड़ने के नियमों का उल्लंघन, और समुद्र में खोज और बचाव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सामूहिक प्रभावशीलता को बढ़ाना है.

समुद्री सुरक्षा अभियानों में सक्रिय भागीदारी

फ्रांस हिंद महासागर क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण मिशनों का हिस्सा रहा है, जिनमें समुद्री डकैती और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए यूरोपीय अटलांटा ऑपरेशन, संयुक्त टास्क फोर्स 150 और समुद्री सुरक्षा के लिए यूरोपीय संघ का एस्पाइड्स ऑपरेशन शामिल हैं. इन अभियानों का उद्देश्य समुद्र में स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करना है. यूरोपीय संघ की सुरक्षा नीति के तहत ऑपरेशन अटलांटा विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.