प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात साल बाद चीन की यात्रा की और तिआनजिन में आयोजित SCO सम्मेलन के इतर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की यह मुलाकात ऐसे समय हुई जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद की तल्खियां पिछले कुछ वर्षों से रिश्तों पर असर डाल रही थीं.
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने साझा रूप से कहा कि भारत और चीन को अच्छे पड़ोसी और विकास सहयोगी के रूप में काम करना चाहिए. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच पांच अहम मुद्दों पर चर्चा हुई है.
इस मुलाकात में प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा कि भारत आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि पिछले वर्ष हुई ‘डिसएंगेजमेंट प्रोसेस’ के बाद सीमा पर शांति और स्थिरता बनी हुई है.
मोदी ने दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों की भलाई को द्विपक्षीय सहयोग से जुड़ा बताया. उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच सीधी हवाई सेवाओं को फिर से शुरू किया जाएगा. इसके साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्रा भी फिर शुरू की जाएगी, जो कोविड महामारी के चलते पांच वर्षों से ठप पड़ी थी.
शी जिनपिंग ने इस मुलाकात के दौरान कहा कि बदलते विश्व में भारत और चीन को अच्छे दोस्त और पड़ोसी बनने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 'हाथी और ड्रैगन को साथ चलना होगा' क्योंकि ये दोनों दुनिया की प्राचीनतम सभ्यताओं और सबसे बड़ी आबादी वाले देश हैं.
चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और चीन की ऐतिहासिक जिम्मेदारी है कि वे बहुपक्षवाद को मजबूती दें, बहुध्रुवीय दुनिया को बढ़ावा दें और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में अधिक लोकतंत्र लाएं. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को एशिया और पूरी दुनिया की शांति और समृद्धि में योगदान करना चाहिए.
शी जिनपिंग ने साफ कहा कि सीमा विवाद को भारत-चीन रिश्तों की संपूर्ण तस्वीर पर हावी नहीं होने देना चाहिए. उन्होंने जोर दिया कि दोनों देश एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं बल्कि विकास का अवसर हैं. वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-चीन संबंधों को किसी तीसरे देश के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.