menu-icon
India Daily
share--v1

Electoral Bonds: 'कोई ऑफिस के बाहर लिफाफा रख गया', डोनर के बारे में पूछने पर बोली TMC, JDU

Electoral Bonds: तृणमूल कांग्रेस (TMC) और जनता दल यूनाइडेट (JDU) ने इलेक्शन बॉन्ड डोनर्स (दानदाताओं) की पहचान का खुलासा करने में असमर्थतता जताई है. हालांकि, JDU ने कुछ दाताओं का खुलासा किया. वहीं, TMC ने यूनिक कोड के जरिए डोनर्स की पहचान के लिए SBI की KYC प्रक्रिया पर निर्भरता का हवाला देते हुए डोनर्स के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.

auth-image
India Daily Live
Electoral Bonds

Electoral Bonds: राजनीतिक पार्टियों को किसने चंदा दिया, ये सवाल बड़ा है. कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने चुनाव आयोग को जानकारी दी. बैंक की ओर से दी गई जानकारी को चुनाव आयोग ने अपने वेबसाइट पर अपलोड भी की. जब जानकारी सार्वजनिक हुई, तो उसमें ये जानकारी थी कि किस कंपनी ने बैंक से कितने रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे. ये भी जानकारी थी कि किस पार्टी ने कितने रुपये के चुनावी बॉन्ड इनकैश कराए. लेकिन ये जानकारी सामने नहीं आई कि किस कंपनी ने कितने रुपये के बॉन्ड, किस राजनीतिक पार्टी को दिए.

इस मामले में याचिकाकर्ता ADR के वकील प्रशांत भूषण ने दोबारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि जानकारी अधूरी है. फिर सुप्रीम कोर्ट जानकारी पूरी देने का निर्देश दिया. हालांकि, इस दौरान एक यूनिक कोड का जिक्र किया गया, जो खास तरीके से दिखता है. कोर्ट से बैंक ने कहा कि इस प्रक्रिया में थोड़ा समय लगेगा. उधर, राजनीतिक पार्टियों की ओर से चुनाव आयोग को कुछ जानकारियां दी गईं हैं, जिसमें बताया गया है कि पिछले 5 सालों में उन्हें कितना चुनावी फंड मिला. हालांकि, फंड देने वालों का नाम अभी भी पूरी तरह से सामने नहीं आया है.

कुछ राजनीतिक पार्टियों ने बताया, कुछ बोले- हमें नहीं जानकारी

चुनावी फंड देने वालों की जानकारी कुछ राजनीतिक पार्टियों ने तो दी है, लेकिन कुछ राजनीतिक पार्टियां ऐसी भी हैं, जिन्होंने दानदाताओं के बारे में जानकारी देने में असमर्थतता जताई. टीएमसी और जेडीयू इनमें से एक हैं. इनका कहना है कि पोल बॉन्ड हमारे कार्यालयों में छोड़े गए थे, ये नहीं पता है कि ये किसने रखे या छोड़े?

चुनावी बॉन्ड के डोनर्स का नाम छिपाने के लिए दोनों पार्टियों का अजीब तर्क सामने आया है. टीएमसी की ओर से कहा गया है कि कुछ गुमनाम व्यक्तियों ने कोलकाता के पार्टी ऑफिस में सीलबंद लिफाफा छोड़ दिया, इसलिए ये जानकारी नहीं दी जा सकती कि कितना फंड दान के रूप में किस डोनर ने दिया. ऐसा ही कुछ कहना जेडीयू का भी है. 

हालांकि, जेडीयू ने अप्रैल 2019 में प्राप्त 13 करोड़ रुपये में से 3 करोड़ रुपये के दानदाताओं की पहचान का खुलासा किया, लेकिन टीएमसी ने उन दानदाताओं की पहचान का खुलासा नहीं किया, जिन्होंने 16 जुलाई 2018 से 22 मई 2019 के बीच पार्टी को चुनावी बॉन्ड के जरिए लगभग 75 करोड़ रुपये का दान दिया. 

टीएमसी बोली- हमारे ऑफिस के ड्रॉप बॉक्स में छोड़े गए चेक

TMC ने 27 मई, 2019 को ECI को अपने सबमिशन में कहा कि अधिकांश बॉन्ड हमारे ऑफिस में भेजे गए थे और कुछ ऑफिस में लगे ड्रॉप बॉक्स में डाले गए थे. ये ऐसे लोग हैं, जो हमारा समर्थन करते हैं लेकिन किसी वजह से गुमनाम रहना चाहते हैं. ऐसे में इनका ब्यौरा हमारे पास नहीं है. JDU ने 30 मई, 2019 को अपने सबमिशन में कहा कि कोई 3 अप्रैल, 2019 को पटना में हमारे कार्यालय में आया और एक सीलबंद लिफाफे को सौंप दिया. जब इसे खोला गया, तो हमें 1 करोड़ रुपये के 10 चुनावी बॉन्ड मिले. JDU ने कहा कि स्थिति को देखते हुए, हम दानदाताओं के बारे में और अधिक जानकारी देने में असमर्थ हैं.

JDU की ओर से कहा गया कि न तो हम जानते हैं और न ही हमने जानने की कोशिश की है क्योंकि जब हमें बॉन्ड मिले थे, तब सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं आया था. केवल भारत सरकार का गजट नोटिफिकेशन ही लागू था. हालांकि, पार्टी ने दो दानदाताओं की पहचान का खुलासा किया और बताया कि श्री सीमेंट लिमिटेड, अजमेर (राजस्थान) और भारती एयरटेल लिमिटेड, गुड़गांव (हरियाणा) की ओर से हमें दान मिला है. श्री सीमेंट ने 16 अप्रैल, 2019 को 2 करोड़ रुपये का दान दिया, जबकि 26 अप्रैल 2019 को भारती एयरटेल ने 1 करोड़ रुपये का दान दिया.