Vikas Divyakirti: देश के प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान दृष्टि आईएएस के संस्थापक और लोकप्रिय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर विकास दिव्यकीर्ति ने अपने खिलाफ दायर मानहानि की शिकायत को खारिज करने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. यह मामला उनके एक वीडियो से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कानूनी प्रणाली और न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर कुछ विवादास्पद टिप्पणियां की थीं. यह याचिका 21 जुलाई, 2025 को न्यायमूर्ति समीर जैन के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.
विकास दिव्यकीर्ति, जो अपनी प्रेरणादायक शैक्षिक सामग्री और सामाजिक मुद्दों पर विचारोत्तेजक टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं, इस बार कानूनी विवाद में फंस गए हैं. यह विवाद तब शुरू हुआ जब अजमेर के एक वकील, सुमीर सोढ़ी ने उनके खिलाफ स्थानीय अदालत में मानहानि की शिकायत दर्ज की. सुमीर का आरोप है कि विकास ने अपने एक वीडियो में ऐसी टिप्पणियां कीं, जो न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं. इस शिकायत के आधार पर अजमेर की स्थानीय अदालत ने विकास को 22 जुलाई, 2025 को पेश होने का समन जारी किया.
उच्च न्यायालय में याचिका
विकास दिव्यकीर्ति ने इस समन और शिकायत को रद्द करने की मांग करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है. उनकी याचिका में दावा किया गया है कि उनके बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आते हैं और उनका उद्देश्य किसी की मानहानि करना नहीं था. उनके वकीलों ने तर्क दिया कि यह मामला व्यक्तिगत दुर्भावना से प्रेरित हो सकता है और इसे कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग माना जाना चाहिए.
सुनवाई की तारीख और महत्व
यह मामला अब राजस्थान उच्च न्यायालय में 21 जुलाई, 2025 को सुनवाई के लिए निर्धारित है. न्यायमूर्ति समीर जैन इस याचिका की सुनवाई करेंगे. इस मामले का परिणाम न केवल विकास दिव्यकीर्ति के लिए, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सोशल मीडिया पर की जाने वाली टिप्पणियों के कानूनी दायरे को लेकर भी महत्वपूर्ण हो सकता है.
विकास दिव्यकीर्ति का पक्ष
विकास ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, “मैंने हमेशा अपने विचारों को खुले तौर पर और जिम्मेदारी के साथ रखा है. मेरा उद्देश्य समाज में सकारात्मक चर्चा को बढ़ावा देना है, न कि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना.”