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India Daily

DRDO ने पहली बार दागी ड्रोन से गाइडेड मिसाइल, वीडियो में देखें भारत की ताकत देखकर कैसे कांपे दुश्मन देश?

DRDO ने भारत में पहली बार ड्रोन से छोड़ी जाने वाली मिसाइल ULPGM-V3 का सफल परीक्षण किया है. यह मिसाइल पहले के वर्जन से ज्यादा एडवांस है और दिन-रात, मैदानी और पहाड़ी इलाकों में सटीक निशाना साध सकती है. इसमें तीन तरह के वॉरहेड हैं जो टैंक, बंकर और बड़े क्षेत्र को तबाह कर सकते हैं.

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Edited By: Yogita Tyagi
DRDO successfully tests drone-launched missile

भारत ने अपनी रक्षा तकनीक में एक और बड़ी छलांग लगाई है. अब ऐसा हथियार तैयार कर लिया गया है जिसे ड्रोन से भी दागा जा सकता है. ये कारनामा देश की प्रमुख रक्षा संस्था DRDO (Defence Research and Development Organisation) ने किया है.

DRDO ने हाल ही में ULPGM-V3 मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। ULPGM का मतलब है Unmanned Aerial Vehicle Launched Precision Guided Missile, यानी बिना पायलट वाले ड्रोन से छोड़ी जाने वाली एकदम सटीक निशाना लगाने वाली मिसाइल. यह मिसाइल पुराने वर्जन V2 से भी ज़्यादा एडवांस है. इसमें कई नई खूबियां जोड़ी गई हैं जो इसे और ज्यादा घातक और आधुनिक बनाती हैं.

कहां हुआ टेस्ट?

इस मिसाइल का टेस्ट आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में मौजूद राष्ट्रीय मुक्त क्षेत्र रेंज (NOAR) में किया गया। ये जगह DRDO की टेस्टिंग के लिए खास तौर पर बनाई गई है।

ULPGM-V3 में क्या-क्या है खास?

  • यह मिसाइल ड्यूल चैनल सीकर टेक्नोलॉजी से लैस है, जिससे यह अलग-अलग तरह के टारगेट को आसानी से पकड़ सकती है।
  • इसे प्लेन एरिया (मैदानी इलाका) और हाई एल्टीट्यूड एरिया (पहाड़ी इलाके) दोनों में चलाया जा सकता है।
  • यह दिन और रात, दोनों समय काम कर सकती है।
  • इसमें दो-तरफा डेटा लिंक है, जिससे लॉन्च के बाद भी टारगेट को अपडेट किया जा सकता है। 

इसमें तीन तरह के वॉरहेड 

इसमें तीन तरह के वॉरहेड यानी फटने वाले हिस्से हैं। एक एंटी-आर्मर जिसका काम टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को तबाह करना है।  दूसरा एंटी-बंकर जिसका काम छुपे हुए दुश्मनों को उड़ाने के लिए है।  तीसरा प्री-फ्रैगमेंटेशन जिसका काम ज्यादा से ज्यादा तबाही मचाना है। 

इस प्रोजेक्ट में कौन-कौन जुड़ा है?

ULPGM-V3 मिसाइल को DRDO की कई लैब्स ने मिलकर बनाया है। जिसमें ये शामिल हैं। 

  • रिसर्च सेंटर इमारत (RCI)
  • डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब (DRDL)
  • टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैब (TBRL)
  • हाई-एनर्जी मटेरियल्स रिसर्च लैब (HEMRL)
  • डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स रिसर्च लैब (DLRL)
  • इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR)

इस मिसाइल को लॉन्च करने वाला जो ड्रोन है, वह बेंगलुरु की एक स्टार्ट-अप कंपनी NewSpace Research Technologies ने बनाया है। यह ड्रोन भी पूरी तरह देसी है।

देश के प्राइवेट सेक्टर का बड़ा योगदान

इस प्रोजेक्ट में सिर्फ DRDO ही नहीं, बल्कि भारत की प्राइवेट कंपनियां भी शामिल हैं। अदानी डिफेंस, भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और करीब 30 MSME और स्टार्टअप्स ने इस प्रोजेक्ट में अपना योगदान दिया है।

रक्षा मंत्री और DRDO प्रमुख की प्रतिक्रिया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कामयाबी के लिए DRDO और सभी प्राइवेट पार्टनर्स को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि भारतीय इंडस्ट्री अब बड़ी-बड़ी रक्षा तकनीकों को बनाने के लिए तैयार है। वहीं, DRDO के चेयरमैन डॉ. समीe वी. कामत ने भी सभी टीमों को बधाई दी और कहा कि ऐसे हथियार बनाना आज के समय की ज़रूरत है।

भारत बना रहा अपने आधुनिक हथियार 

भारत अब सिर्फ रक्षा उपकरण खरीदने वाला देश नहीं रहा, बल्कि खुद अपने आधुनिक हथियार भी बना रहा है। ULPGM-V3 मिसाइल इसका ताज़ा उदाहरण है। ये दिखाता है कि अब भारत की ताकत सिर्फ ज़मीन तक सीमित नहीं, बल्कि आसमान से भी दुश्मनों पर सटीक वार कर सकता है – वो भी बिना किसी पाइलट की मदद लिए हुए।