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'मुझे गाली देने से व्यूज ज्यादा मिलते हैं...', कोचिंग सेंटर हादसे पर खुद को निशाना बनाए जाने पर बोले विकास दिव्यकीर्ति

दिव्यकीर्ति ने कहा,  'मेरी असली चिंता ये है कि उन तीन बच्चों पर क्या गुजरी होगी जिनकी इस दर्दनाक हादसे में मौत हो गई. उन्होंने कहा, 'जब मैं अपने बेडरूम में घुसता हूं तो मेरे दिमाग में बार-बार एक इमेज बनती है कि जब पानी भरा होगा तो बच्चों पर क्या गुजरी होगी. क्यों कि मेरे साथ एक दो बार ऐसा हुआ है जब नदी तैरते हुए पानी नाक में भर गया एक दो सेकेंड्स के लिए और मरते-मरते बचे.'

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Edited By: India Daily Live
Dr. Vikas Divyakirti
Courtesy: Social media

Old Rajendra Nagar Coaching Center Tragedy: दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर हादसे को लेकर खुद को निशाना बनाए जाने को लेकर दृष्टि आईएएस कोचिंग के फाउंडर और एमडी डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मुझे इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि जब ऐसे मामलों में हर किसी को एक बलि का बकरा चाहिए होता है. इससे प्रशासन के लिए चीजें आसान हो जाती है. इससे वो सोचते हैं कि अब वो सुरक्षित हैं सारा आरोप इसी एक आदमी पर मढ़ दो, वहीं समाज के लोग भी महसूस करते हैं कि चलो आखिरकार अपराधी पकड़ा गया. रहा सवाल छात्रों का तो छात्र जिस भावात्मक उथल-पुथल से गुजर रहे हैं, उनके गुस्से का कारण यह है कि मैं उनके साथ खड़ा क्यों नहीं हुआ. तो मेरे लिए इसके कुछ और कारण हैं.

मुझे दिखाने से व्यूज आते हैं

विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि इस मामले में 50 से ज्यादा संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई हुई हैं, इनमें से एक हमारा भी है. उन्होंने कहा कि मेरी चिंता यह नहीं है कि मुझे निशाना बनाया गया. मीडिया मेरे पीछे पड़ा हुआ है, ऐसा इसलिए है क्योंकि मुझे दिखाने से व्यूज आते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से मुझे दिखाने से व्यूज ज्यादा मिल रहे हैं इसलिए मीडिया मुझे दिखा रहा है.

उन बच्चों पर क्या गुजरी होगी

दिव्यकीर्ति ने कहा,  'मेरी असली चिंता ये है कि उन तीन बच्चों पर क्या गुजरी होगी जिनकी इस दर्दनाक हादसे में मौत हो गई. उन्होंने कहा, 'जब मैं अपने बेडरूम में घुसता हूं तो मेरे दिमाग में बार-बार एक इमेज बनती है कि जब पानी भरा होगा तो बच्चों पर क्या गुजरी होगी. क्यों कि मेरे साथ एक दो बार ऐसा हुआ है जब नदी तैरते हुए पानी नाक में भर गया एक दो सेकेंड्स के लिए और मरते-मरते बचे.'

'कितना दर्दनाक होता है वह दो तीन पांच सेकेंड्स का समय. हम तो खैर दो-तीन-पांच सेकेंड्स में फ्री हो के निकल गए उससे, लेकिन उन बच्चों ने तो लगभग एक डेढ़ दो मिनट या फिर इससे भी ज्यादा समय तक यह झेला होगा. जब उम्मीदों की आखिरी घड़ी टूटी होगी. जब वो बच्चे बचने के लिए टेबल पर चढ़े होंगे और जब इतना सारा पानी आ गया होगा. इस पूरे प्रकरण में मेरी चिंता उस अनुभव को महसूस करने की है.' 

बता दें कि शनिवार को दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर के राउस आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से 3 छात्रों की मौत हो गई थी.