प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपनी अमेरिकी यात्रा के पहले दिन क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन के समापन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को एक चांदी की प्राचीन ट्रेन का मॉडल और प्रथम महिला जिल बाइडेन को एक पश्मीना शॉल उपहार में दिया. उपहारों में दोनों देशों के बीच मजबूत राजनयिक संबंधों को याद किया गया.
प्राचीन रेलगाड़ी का मॉडल 92.5 प्रतिशत चांदी से बना है. महाराष्ट्र के कारीगरों की शिल्पकला को प्रदर्शित करने वाला एक दुर्लभ हस्त-कला नमूना है. इस ट्रेन में विस्तृत धातु कार्य, रिपोसे तकनीक और जटिल फिलिग्री कार्य का प्रयोग, देश की कलात्मक विरासत को प्रदर्शित करता है तथा भाप इंजन युग की भी याद दिलाता है.
यह मॉडल भारत और अमेरिका के बीच संबंधों के महत्व को भी दर्शाता है, इंजन के दोनों तरफ 'दिल्ली-डेलावेयर' लिखा हुआ है. क्वाड नेताओं का शिखर सम्मेलन डेलावेयर में आयोजित किया गया था, जो राष्ट्रपति जो बिडेन का गृहनगर है, जो इस अवसर के लिए एक विशेष संकेत है.
PM Narendra Modi gifted an antique silver hand-engraved train model to US President Joe Biden. This vintage silver hand-engraved train model is a rare piece, crafted by artisans from Maharashtra. Made of 92.5% silver, the model showcases the pinnacle of Indian metalworking… pic.twitter.com/7C84WBZUG4
— ANI (@ANI) September 22, 2024
प्रधानमंत्री ने प्रथम महिला जिल बाइडेन को एक पेपर माचे बॉक्स में एक पश्मीना शॉल भी उपहार में दिया, जो जम्मू और कश्मीर में उत्पादित वस्त्र की सुंदरता और इसके अद्वितीय डिजाइन को दर्शाता है. पश्मीना शॉल पीढ़ियों से विरासत के रूप में आगे बढ़ते आ रहे हैं. पश्मीना शॉल की कहानी चांगथांगी बकरी से शुरू होती है। यह बकरी लद्दाख की ऊंची पहाड़ियों में पाई जाती है. पश्मीना शॉल भी पारंपरिक रूप से जम्मू और कश्मीर में बने पेपर माचे बॉक्स में प्रस्तुत किए जाते हैं. ये बॉक्स न केवल उपयोगी हैं बल्कि अपने आप में कला का एक नमूना भी हैं.
अमेरिका भारत को लौटाएगा 297 प्राचीन 'धरोहर'
मोदी के इस अमेरिकी दौरे पर 'सांस्कृतिक' संपदा की तस्करी के खिलाफ भी सफलता मिली है. पिछले कुछ वर्षों में कई 'धरोहरें' तस्करी के जरिए अमेरिका ले जाई गईं थीं, जिसे अब अमेरिका भारत को लौटाने पर सहमत हो गया है. इनमें से कुल 297 प्राचीन धरोहर भारत को लौटाया जाना है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2014 से अब तक 640 प्राचीन सांस्कृतिक विरासत वाली धरोहरें भारत को वापस मिल चुकी हैं. कहा जा रहा है कि अभी भी दुनिया के कई देशों में भारत की प्राचीन धरोहरें घूम रही हैं. अमेरिका के विभिन्न संस्थानों से 578 पुरानी धरोहरें भारत को मिल चुकी हैं.
2004 से 2013 के बीच भारत को सिर्फ एक प्राचीन कलाकृति वापस मिली थी. लेकिन 2014 के बाद से इसमें काफी तेजी आई है.2021 में पीएम मोदी जब अमेरिका गए थे, तब अमेरिका ने 157 प्राचीन वस्तुएं लौटाईं थीं. इनमें नटराज की 12वीं सदी की कांस्य की प्रतिमा भी थी.
2023 में जब पीएम मोदी अमेरिका गए तो 105 कलाकृतियां लौटाईं गईं. अमेरिका के अलावा ब्रिटेन से भारत को अब तक 16 और ऑस्ट्रेलिया से 40 कलाकृतियां वापस मिली हैं.