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Diwali के बाद दिल्ली वालों को मौसम ने दिया तगड़ा झटका, प्रदूषण को लेकर सामने आया डरावना आंकड़ा

Delhi air pollution: दिवाली पर दिल्ली में साल की पहली धुंध देखी गई है. पटाखों और पराली जलाने के कारण पिछले साल की तुलना में 92 फीसदी वायू प्रदूषण में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने चेतावनी दी कि आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं.

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Edited By: Bhoopendra Rai
Delhi air pollution
Courtesy: Twitter

Delhi air pollution: दिल्ली के हालात बिगड़ने वाले हैं, क्योंकि दिवाली के साथ ही दिल्ली में पहली धुंध देखी गई है. हैरानी वाली बात ये है कि इस पिछले साल की दिवाली पर जितनी धुंध थी उससे 34 फीसदी ज्यादा इस बार स्मॉग काउंट किया गया है. इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में यह और खतरनाक होगी, जो लोगों की सेहत पर बुरा असर डाल सकती है.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के विश्लेषण से पता चला है कि इस साल दिवाली पर दिल्ली में सीजन का पहला स्मॉग देखने को मिला. रिपोर्ट के अनुसार, इस दिवाली पर पीएम 2.5 की सांद्रता 2022 की तुलना में 34% अधिक थी. हैरानी की बात ये है कि नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2) का स्तर भी 2023 की तुलना में ज्यादा था. इसके पीछे 2 मुख्य कारण बता गए हैं, पहला तो प्रदूषण जबकि दूसरा पराली जलाना.

दिवाली 2024: पिछले साल की तुलना में 92% बढ़ा प्रदूषण

दिवाली के त्योहार के दौरान 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक, पीएम 2.5 की सांद्रता में 46% की वृद्धि हुई. 31 अक्टूबर की मध्यरात्रि तक, पीएम 2.5 का स्तर 603 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया. सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक प्रदूषण का स्तर पिछले साल की तुलना में 92% अधिक रहा. यह आंकड़े हैरान करने वाले हैं.

प्राकृतिक वेंटिलेशन से प्रदूषण में कमी

सीएसई के अनुसार, प्रदूषण में इस साल थोड़ी जल्दी कमी आई क्योंकि हवा की गति और गर्म वातावरण के कारण प्रदूषक जल्दी फैल गए. हालांकि, दिवाली की रात प्रदूषण का स्तर कई इलाकों में 'गंभीर' दर्ज किया गया.

नेहरू नगर की हालत सबसे ज्यादा खराब रही

दिवाली की रात नेहरू नगर में पीएम 2.5 का स्तर 994 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा, जो शहर में सबसे अधिक था.  JLN स्टेडियम 104 और पटपड़गंज 101 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के साथ अन्य NO2 हॉटस्पॉट थे.

खेतों में पराली जलाने और वाहनों से बढ़ा प्रदूषण

रिपोर्ट में कहा गया कि 31 अक्टूबर को खेत की आग में तेजी से वृद्धि हुई, जिससे दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ा. पंजाब में 80% पराली जलाने के मामले थे. हवा की दिशा उत्तर-पश्चिमी होने के कारण, पराली के धुएं का असर दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर पड़ा.

वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या रही. आईटीओ में NO2 का स्तर 182 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा, जो शहर में सबसे अधिक था. JLN स्टेडियम और पटपड़गंज में भी उच्च NO2 स्तर दर्ज किया गया.  लोधी रोड सबसे कम प्रभावित क्षेत्र रहा. यहां मात्र 2 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के विश्लेषण में चेतावनी दी गई है कि ठंड और शांत मौसम से प्रदूषण की स्थिति और गंभीर हो सकती है.