दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर हादसे को लेकर अब दिल्ली हाई कोर्ट ने नगर निगम, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई है. इस मामले की जांच हाई लेवल कमेटी से कराए जाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने दिल्ली की व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठाए. हाई कोर्ट ने साफ कह दिया कि दिल्ली के निकाय दिवालिया हैं और अगर आपके पास सैलरी देने के पैसे नहीं हैं तो आप मूलभूत ढांचों को कैसे सुधारेंगे? हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली नगर निगम अपना अधिकारी वहां भेजे और कल एफिडेविट देकर बताए कि अब तक क्या किया गया. साथ ही, कल एमसीडी के डायरेक्टर भी कोर्ट में पेश हों.
कोचिंग के बगल से गाड़ी लेकर निकले मनुज की गिरफ्तारी को लेकर हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने कहा, 'दिल्ली पुलिस ने बगल से कार लेकर गुजरे शख्स को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस आखिर क्या कर रही है? ऐसी लगता है कि एमसीडी के अधिकारियों को लगता है कि आदेश का पालन करने की जरूरत नहीं है. अभी तक एमसीडी से सिर्फ एक आदमी जेल गया है.' अब इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी. कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा है कि जिम्मेदारी तय करनी होगी.
3 UPSC aspirants death case | Delhi High Court remarks, "We understand all stakeholders are responsible. We are all part of the city. Even we are opening the drain, closing the drain. But the difference is, you are building the city. This is a strategy where no person is held…
— ANI (@ANI) July 31, 2024Also Read
इस केस की सुनवाई के दौरान खुद दिल्ली सरकार ने स्वीकार किया कि जमीनी हालत वाकई ठीक नहीं हैं और विभागों के बीच बहुत कन्फ्यूजन है. दिल्ली सरकार ने कहा, 'आवासीय मामलों के विभाग ने जवाब मांगा है. स्थानीय कानूनों में कई तरह के विरोधाभास हैं. दिल्ली जल बोर्ड एक्ट कहता है कि वह सिर्फ गीले कचरे के लिए जिम्मेदार है लेकिन एमसीडी एक्ट के मुताबिक एक तय गहराई के नाले उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं. बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है.' इस पर हाई कोर्ट ने भी कहा कि दिल्ली के पूरे प्रशासनिक ढांचे को फिर से जांचने की जरूरत है, यहां बहुत आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है.
कोर्ट ने यह भी कहा, 'हम आदेश जारी करेंगे. एक आदेश तो इस केस की जिम्मेदारी तय करने के लिए होगा. यह एक रणनीति है जिससे कोई जिम्मेदार ही न हो. हमें यह तय करना होगा कि एक अथॉरिटी की जिम्मेदारी कहां खत्म होती है और दूसरे की कहां शुरू होती है. बहुत सारी अथॉरिटी एक ही काम में लगी हुई हैं. अगर आप एमसीडी के एक अधिकारी को नालियों का प्लान बनाने को कहें तो वह नहीं बनाए पाएंगे. उन्हें तो यह भी नहीं पता है कि नाले हैं कहां. सबकुछ घालमेल हो गया है.'
हाई कोर्ट ने मुफ्त की योजनाओं को लेकर भी तीखी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा, 'आपको मुफ्त की इन योजनाओं के कल्चर पर सोचना होगा. जो शहर 6-7 लाख लोगों के लिए प्लान किया गया था उसमें 3.3 करोड़ लोग रहे हैं. आपकी क्या प्लानिंग है? एक दिन आप सूखे की शिकायत करते हैं, अगले दिन बाढ़ आ जाती है? यह मानना पड़ेगा कि वरिष्ठ अधिकारी अपने एसी दफ्तरों से निकल ही नहीं रहे हैं.' कोर्ट ने यह भी पूछा है कि जब जूनियर अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया तो उनके काम का रिव्यू करने वालों पर एक्शन क्यों नहीं हुआ?