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HMPV वायरस के बीच दिल्ली चुनाव की घोषणा, कैसे लगेगी नेताओं की नैया पार?

दिल्ली के भीतर फरवरी महीने में चुनाव होने हैं. मंगलवार को चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए तारीखों का एलान कर दिया, लेकिन इसी बीच देश में तेजी से चीन का HMPV वायरस भी बढ़ रहा है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि चुनाव कैसे संपन्न हो पाएगा?

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Kamal Kumar Mishra

Delhi Assembly elections 2025: दिल्ली में चुनावी मौसम ने एक नया मोड़ लिया है, जहां नेताओं को केवल अपने राजनीतिक प्रचार की चिंता नहीं बल्कि एक खतरनाक वायरस, HMPV (Human Metapneumovirus) के खतरे का भी डर सता रहा है. चुनाव आयोग ने भले ही दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का एलान कर दिया है, लेकिन चीनी वायरस ने इसमें मुश्किल जरूर पैदा कर दी है. दिल्ली सरकार खुद अलर्ट जारी कर चुकी है. 

दरअसल, दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को मतदान होना है और रिजल्ट 8 फरवरी को घोषित होंगे. ऐसे में राजनीतिक दल पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में कूद गए हैं. इस बीच सवाल उठ रहा है कि नए चीनी वायरस यदि दिल्ली में भी फैलता है तो राजनीतिक दल प्रचार कैसे करेंगे? लोग अपने घरों से निकलकर बूथ पर वोट देने कैसे जाएंगे? 

दिल्ली के नेताओं की बढ़ी चिंता

HMPV एक श्वसन संबंधी वायरस है, जो सर्दी, खांसी, बुखार जैसी समस्याओं को जन्म देता है. इसको लेकर दिल्ली सरकार अलर्ट है. भारत में HMPV वायरस के बढ़ते प्रकोप ने दिल्लीवासियों को अपनी सेहत को लेकर चिंता में डाल दिया है. ऐसे में जानकारों का कहना है कि जरूरत पड़ी तो इस वायरल के दौरान भी कोविड-19 जैसे नियम लागू किए जा सकते हैं. 

सावधानी जरूरी

ऐसे में राजनीतिक दलों को चुनावी प्रचार और जनसंपर्क के दौरान स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी. चूंकि चुनावी प्रचार में आम जनता से संवाद और जनसभाएं एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, ऐसे में सार्वजनिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी हो गया है. नेताओं को अपनी चुनावी सभाओं और कार्यक्रमों में लोगों को भीड़-भाड़ से बचने और मास्क पहनने के लिए प्रेरित करना होगा.

सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक, चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य विभाग से चर्चा करने के बाद ही दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा की है. ऐसे में यदि दिल्ली में एचएमपीवी के मामले आते हैं, तब भी चुनाव रद्द नहीं होंगे. एहतियात बरतते हुए दिल्ली में चुनावी प्रक्रिया पूरी की जाएगी. कोविड-19 के दौरान भी हुए चुनावों में सावधानी बरतते हुए प्रक्रिया पूरी की गई थी. 

डिजिटल प्रचार हो सकता है कारगर

जानकारों का कहना है कि अगर वायरस तेज होता है तो राजनीतिक पार्टियां डिजिटल प्रचार और सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी पहुंच बढ़ाने पर जोर देंगी. इस दौरान व्यक्तिगत रूप से लोगों से मिलने की बजाय ऑनलाइन मंचों का अधिकतम उपयोग करना एक कारगर उपाय हो सकता है. फिलहाल, इस वायरस ने दिल्ली में नेताओं की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि उनके सामने प्रचार और खुद की सुरक्षा की चिंता रहेगी.