menu-icon
India Daily

Dalai Lama: दलाई लामा के बाद कौन? जानिए अगला आध्यात्मिक उत्तराधिकारी कैसे चुना जाएगा

दलाई लामा का उत्तराधिकारी सिर्फ एक धार्मिक नेता नहीं होगा, बल्कि वह तिब्बती पहचान, स्वतंत्रता और चीन के प्रभाव के बीच संतुलन का प्रतीक भी होगा. इसीलिए, दुनियाभर की निगाहें इस बात पर हैं कि अगला दलाई लामा कौन होगा और किस प्रक्रिया से चुना जाएगा.

auth-image
Edited By: Reepu Kumari
Dalai Lama
Courtesy: Pinterest

Dalai Lama: तिब्बती बौद्धों के लिए यह साल बेहद खास है, क्योंकि उनके आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने 90वां जन्मदिन मनाया और साथ ही अपने उत्तराधिकारी को लेकर एक बड़ा ऐलान भी कर दिया. बुधवार को धर्मशाला में आयोजित एक समारोह में उन्होंने साफ कहा कि दलाई लामा की संस्था उनके बाद भी जारी रहेगी, यानी एक नया दलाई लामा जरूर होगा.

इस ऐलान के बाद दुनियाभर के बुद्धिस्टों के बीच उत्सुकता बढ़ गई है कि अगला दलाई लामा कौन होगा, और कैसे उसका चयन किया जाएगा. खास बात ये है कि सिर्फ धार्मिक समुदाय ही नहीं, बल्कि चीन, अमेरिका और भारत जैसे देश भी इस चयन पर नजर बनाए हुए हैं. कारण? इस फैसले का गहरा राजनीतिक असर भी होगा.

क्या है दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने की परंपरा?

पारंपरिक रूप से, नए दलाई लामा का चयन तब शुरू होता है जब वर्तमान दलाई लामा का निधन हो जाता है.

बौद्ध भिक्षु विशेष संकेतों, स्वप्नों और धार्मिक चिन्हों की मदद से नए अवतार को खोजते हैं.

चयन प्रक्रिया में बच्चे का परीक्षण किया जाता है कि क्या वह पिछले दलाई लामा की वस्तुओं को पहचान पाता है या नहीं.

इसके बाद उसे प्रशिक्षण देकर आधिकारिक रूप से ‘दलाई लामा’ की उपाधि दी जाती है.

क्या इस बार कुछ बदलेगा?

14वें दलाई लामा ने खुद कहा है कि वे उत्तराधिकारी के चयन को लेकर और भी दिशा-निर्देश दे सकते हैं.

ऐसा हुआ तो यह परंपरा में बड़ा बदलाव होगा क्योंकि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि जीवित दलाई लामा ने उत्तराधिकारी तय करने की प्रक्रिया को निर्देशित किया हो.

क्यों है चीन, भारत और अमेरिका की दिलचस्पी?

  • चीन चाहता है कि अगला दलाई लामा उसकी मर्जी से चुना जाए ताकि तिब्बत पर उसका नियंत्रण बना रहे.
  • अमेरिका बार-बार चीन से कह चुका है कि वह धार्मिक मामलों में दखल न दे और दलाई लामा की परंपरा को सम्मान दे.
  • भारत जहां दलाई लामा रहते हैं, वहां धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार है, इसलिए भारत की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है.

दलाई लामा का उत्तराधिकारी सिर्फ एक धार्मिक नेता नहीं होगा, बल्कि वह तिब्बती पहचान, स्वतंत्रता और चीन के प्रभाव के बीच संतुलन का प्रतीक भी होगा. इसीलिए, दुनियाभर की निगाहें इस बात पर हैं कि अगला दलाई लामा कौन होगा और किस प्रक्रिया से चुना जाएगा.