नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने पूरे देश का राजनीतिक माहौल बदल दिया है. एक ओर जहां NDA ने रिकॉर्ड बढ़त बनाते हुए दो सौ से अधिक सीटों पर कब्जा जमाया, वहीं दूसरी ओर विपक्ष को करारा झटका लगा. इन परिणामों ने न सिर्फ़ बिहार बल्कि अन्य राज्यों की राजनीतिक प्रतिक्रियाओं को भी तेज कर दिया है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इन नतीजों पर बयान देते हुए कहा कि बिहार के परिणाम देखने के बाद उन्हें अपने राजनीतिक हालात पर “थोड़ा कम दुख” महसूस होता है.
उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में बडगाम उपचुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की हार पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा था कि उनकी पार्टी ने चुनाव जीतने के इरादे से लड़ाई लड़ी थी, लेकिन “बडगाम की जनता कुछ और चाहती थी.” उन्होंने कहा कि पार्टी का उद्देश्य क्षेत्र के विकास को आगे बढ़ाना और राज्य सरकार के साथ आगामी वर्षों के लिए बेहतर तालमेल बनाए रखना था, मगर जनता ने अलग फैसला सुनाया. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि चुनावी फैसले जनता की इच्छाओं को दर्शाते हैं और लोकतंत्र में उनकी राय ही सर्वोपरि होती है.
#WATCH | Jammu | On National Conference losing Budgam by-election, J&K CM Omar Abdullah says, "We contested the election to win, but the people of Budgam wanted something else. We wanted Budgam's progress and the betterment of the people there. We wanted them to maintain a close… pic.twitter.com/0StHGlIahp
— ANI (@ANI) November 14, 2025Also Read
इसी बीच, बिहार में आए चुनावी परिणाम भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लिए ऐतिहासिक साबित हुए. कुल 243 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 121 है, लेकिन शुरुआती रुझानों से ही स्पष्ट हो गया था कि एनडीए इस संख्या को बहुत पीछे छोड़कर बड़ी जीत की ओर बढ़ रहा है. कई दौर की गिनती के दौरान गठबंधन दो सौ से अधिक सीटों पर आगे बना रहा, जिससे यह चुनाव उसके लिए किसी बड़े जनादेश से कम नहीं माना जा रहा.
वहीं दूसरी तरफ़ महागठबंधन को इस बार भारी नुकसान उठाना पड़ा. पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने वाली राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) इस बार 50 सीटों के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाई. कांग्रेस का प्रदर्शन भी बेहद कमजोर रहा और पांच सीटों पर बढ़त बनाए रखना भी उसके लिए चुनौतीपूर्ण हो गया. इन परिणामों ने महागठबंधन की रणनीति और बिहार की राजनीति में उसकी पकड़ पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए की यह जीत बिहार में उसकी पकड़ को और मजबूत करेगी, जबकि विपक्ष को अपनी कमजोरियों का गहन आकलन करना पड़ेगा. दूसरी ओर, उमर अब्दुल्ला के बयान ने यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि अन्य राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियां भी अपने-अपने राजनीतिक हालात को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देख रही हैं.