Religious Poster Controversy: जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 'आई लव मोहम्मद' लिखने पर दर्ज मुकदमों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद के प्रति प्रेम व्यक्त करना किसी भी तरह से अपराध नहीं हो सकता. अब्दुल्ला ने सवाल उठाया कि केवल तीन शब्दों 'आई लव मोहम्मद' को गैरकानूनी कैसे माना जा सकता है. उनका कहना है कि इन तीन शब्दों पर मुकदमा दर्ज करना मानसिक रूप से अस्वस्थ सोच को दर्शाता है और अदालतों को इसे तुरंत सुधारना चाहिए.
यह विवाद तब शुरू हुआ जब 4 सितंबर को कानपुर में बारावफात जुलूस के दौरान कुछ लोगों ने सार्वजनिक स्थलों पर 'आई लव मोहम्मद' लिखे पोस्टर लगाए. पुलिस ने इस मामले 9 नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. इसके बाद मामला तूल पकड़ता गया और कई राज्यों में इसी तरह के पोस्टर लगाए जाने लगे. उत्तराखंड, गुजरात और राजस्थान सहित अन्य राज्यों में भी पुलिस ने पोस्टर हटाए और कुछ मामलों में एफआईआर दर्ज की.
हिंदू संगठनों ने इसे नया चलन बताते हुए आपत्ति जताई. उनका कहना है कि यह धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला कदम है. वहीं दूसरी ओर, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि 'आई लव मोहम्मद' कहना किसी भी रूप में अपराध नहीं है और यह हर नागरिक का अधिकार है. इस बहस ने राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन को लेकर चर्चा छेड़ दी है.
इसी बीच, यूपी के बरेली से एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल यानी आईएमसी के नेता डॉ. नफीस पुलिस थाने के प्रभारी से कथित तौर पर उलझते और धमकी देते नजर आए. नफीस पर आरोप है कि उन्होंने निरीक्षक को धमकाते हुए कहा कि उनका हाथ काट देंगे और वर्दी उतरवा देंगे. यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैला जिससे विवाद और गहरा गया. प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए कहा कि किसी भी तरह की उकसाने वाली गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी. कानून के दायरे में सख्त कार्रवाई की जाएगी और समाज में शांति बनाए रखना प्राथमिकता होगी.