रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति रोकने के बाद, चीन ने भारत के लिए एक और मुश्किल खड़ी कर दी है. इस बार असर कृषि क्षेत्र पर पड़ा है, क्योंकि चीन ने 'स्पेशलिटी फर्टिलाइजर्स' की भारत की आपूर्ति पिछले दो महीनों से पूरी तरह बंद कर दी है. दिलचस्प बात यह है कि चीन ने अन्य देशों को इन उर्वरकों की सप्लाई जारी रखी है, लेकिन भारत को बाहर रखा गया है.
चीन ने जिन उर्वरकों की आपूर्ति रोकी है, उनमें वॉटर सॉल्युबल फर्टिलाइज़र (WSF), फोलियर और फर्टिगेशन लिक्विड फर्टिलाइज़र, कंट्रोल्ड रिलीज (SRFs), माइक्रोन्यूट्रिएंट, फोर्टिफाइड, कस्टमाइज्ड, नैनो और बायो स्टिमुलेंट्स शामिल हैं. वर्ष 2023 में जून से दिसंबर के बीच भारत ने इन उर्वरकों का लगभग 1.6 लाख टन आयात किया था.
स्पेशलिटी फर्टिलाइजर्स की मांग भारत में लगातार तेज़ी से बढ़ रही है. अनुमान है कि माइक्रोन्यूट्रिएंट फर्टिलाइज़र का बाज़ार 2029 तक 9.2% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से 1 बिलियन डॉलर से अधिक तक पहुंच सकता है. इसी तरह, बायो स्टिमुलेंट्स मार्केट 15.6% की CAGR से 734 मिलियन डॉलर तक और ऑर्गेनिक फार्मिंग सेक्टर 2032 तक 1.13 बिलियन डॉलर के पार जा सकता है.
इन उर्वरकों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये फसल उत्पादन को बेहतर बनाते हैं, मिट्टी की गुणवत्ता सुधारते हैं और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को भी घटाते हैं. भारत में दीपक फर्टिलाइजर्स, पारादीप फर्टिलाइजर्स और नागार्जुन फर्टिलाइजर्स जैसी कंपनियां इस क्षेत्र में काम करती हैं, लेकिन घरेलू स्तर पर इनकी निर्माण क्षमता और तकनीकी आधार फिलहाल सीमित है.
तेज़ी से बढ़ती मांग को देखते हुए कुछ निजी कंपनियां इन उर्वरकों के देश में निर्माण की दिशा में पहल कर रही हैं. लेकिन प्लांट लगाने और उत्पादन शुरू करने में समय लगेगा. फिलहाल, चीन के विकल्प के रूप में भारत जॉर्डन और यूरोपीय देशों से आयात पर विचार कर सकता है. हालांकि, इन विकल्पों की लागत अधिक है और लॉजिस्टिक्स के कारण समय पर डिलीवरी सुनिश्चित कर पाना भी एक चुनौती हो सकती है.
इन उर्वरकों का इस्तेमाल मुख्य रूप से फल, सब्जियों और कैश क्रॉप्स में किया जाता है. ऐसे में सप्लाई में रुकावट का सीधा असर किसानों की आय पर पड़ेगा. न केवल उपज में कमी आ सकती है, बल्कि फसलों की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी. इसके चलते फल और सब्जियां महंगी हो सकती हैं.