Changur Baba Case: अवैध धर्मांतरण के आरोपी छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. उत्तर प्रदेश की एंटी टेररिज्म स्क्वॉड को जांच में पता चला है कि छांगुर बाबा को सरकार में शामिल चार अफसरों का संरक्षण प्राप्त था. इनमें एक एडीएम, दो सीओ और एक इंस्पेक्टर शामिल हैं, जो वर्ष 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर जिले में तैनात रहे. ये सभी अफसर छांगुर बाबा के इशारे पर किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते थे. हालांकि अब तक ATS को पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं, जिनके मिलने के बाद ही इन अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जांच में इन अफसरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. शुरुआती जांच में पाया गया है कि इन अधिकारियों ने छांगुर बाबा की गतिविधियों पर आंख मूंद रखी और कई मामलों में उसकी सहायता भी की. हालांकि एजेंसियां इस पहलू की भी जांच कर रही हैं कि कहीं यह सिर्फ छांगुर का बचाव करने का प्रयास तो नहीं है, जिसमें वह झूठे नाम घसीटकर खुद को बचाना चाहता हो.
इस मामले में गिरफ्तार छांगुर और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन की कस्टडी रिमांड बुधवार को समाप्त हो रही है. शाम छह बजे तक दोनों को फिर से जेल में भेज दिया जाएगा. एटीएस द्वारा की गई पूछताछ में नसरीन ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. उसने स्वीकार किया है कि छांगुर बाबा विदेश से मौलानाओं को बुलाकर धर्मांतरण कराता था. इतना ही नहीं, वह अपने गुर्गों को बाकायदा ट्रेनिंग भी दिलवाता था.
नसरीन ने बताया कि छांगुर ने कुछ समय पहले विदेशी फंडिंग और आर्थिक लेन-देन की जिम्मेदारी उससे लेकर अपने बेटे महबूब को सौंप दी थी. इस बात को लेकर दोनों में तीखी बहस भी हुई थी और यही उनकी आपसी कलह का कारण बना. एटीएस को दिए बयानों में नसरीन ने यह भी बताया कि छांगुर ने धर्मांतरण का एक संगठित नेटवर्क तैयार किया था, जिसमें विभिन्न जिलों में फैले लोग जुड़े थे.
ATS सूत्रों का कहना है कि नसरीन के खुलासों के आधार पर जल्द ही कुछ और लोगों पर शिकंजा कस सकता है. हालांकि ठोस सबूत एटीएस के हाथ लगने के बाद ही इन चार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी. इस पूरे मामले ने यूपी के प्रशासनिक ढांचे में मिलीभगत के गंभीर संकेत दिए हैं.