BRICS 2024: कजान, रूस में आयोजित हाल ही में हुए BRICS शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका ने इसे वैश्विक राजनीति में एक खास स्थान दिलाया. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अन्य देशों के नेताओं से मुलाकात की. यह भारत की शांति और स्थिरता की ओर प्रतिबद्धता को दर्शाता है. प्रसिद्ध राजनीतिक विशेषज्ञ इयान ब्रेमर ने भी भारत की नेतृत्व क्षमता की सराहना की, खासकर ग्लोबल साउथ में इसकी मजबूत स्थिति और चीन के साथ संतुलित रिश्ते बनाए रखने की काबिलियत को.
इस शिखर सम्मेलन में भारत की कूटनीति की विशेष झलक देखने को मिली, खासकर प्रधानमंत्री मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात में. चार साल बाद दोनों देशों के प्रमुखों की यह पहली औपचारिक बातचीत थी, जिसमें सीमा विवाद पर चर्चा हुई. यह भारत की कूटनीति का प्रतीक है, जो प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है.
भारत का सामरिक प्रयास केवल चीन तक सीमित नहीं है. रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में भी भारत से शांति स्थापना की अपेक्षा की जा रही है. प्रधानमंत्री मोदी एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिनका सम्मान रूस और यूक्रेन दोनों में ही होता है. इसके अलावा, मोदी ने ईरानी नेता मसूद पेझेश्कियान से भी मुलाकात की और आतंकवाद पर दोहरे मानदंडों की आलोचना करते हुए पाकिस्तान का विरोध करने वाले देशों की निंदा की.
भारत का BRICS में सक्रिय योगदान इसे वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक विकास में नेतृत्व की स्थिति में ला रहा है. डिजिटल तकनीक, सतत विकास और कूटनीति में अपनी ताकत का उपयोग करते हुए भारत एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार है. शिखर सम्मेलन का थीम 'मल्टीलेटरलिज्म को मजबूत करना' भारत की विदेश नीति के लिए अहम साबित हुआ, जिसमें भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को और मजबूत किया और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की.
भारत का रणनीतिक दृष्टिकोण इसे पूर्व और पश्चिम के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बनाता है. BRICS शिखर सम्मेलन में सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दों पर भी चर्चा हुई, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने बेहतर खुफिया साझेदारी और क्षेत्रीय सहयोग पर जोर दिया. कनाडा के साथ विवादित संबंधों के बावजूद, भारत G7 देशों (कनाडा को छोड़कर) के साथ मजबूत संबंध बनाए हुए है. हाल ही में गाजा संघर्ष में भी भारत ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाया, जिसमें उसने दोनों पक्षों से संयम बनाए रखने की अपील की. इस प्रकार भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी मजबूत स्थिति और संतुलन बनाए रखने की क्षमता को दर्शा रहा है.