Maratha quota protests: मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई में हो रहे प्रदर्शन से शहर की रफ्तार थम गई है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण नहीं है और इसकी वजह से पूरी मुंबई ठप पड़ गई है.
कोर्ट ने आंदोलनकारियों को चेतावनी दी कि वे निर्धारित स्थान छोड़कर अलग-अलग इलाकों में भीड़ जुटा रहे हैं, जिससे आम जनता, वकीलों और यहां तक कि जजों तक के लिए आवागमन मुश्किल हो गया है.
सोमवार को हुई विशेष सुनवाई में जस्टिस रविंद्र घुगे और जस्टिस गौतम अंकलद की पीठ ने कहा कि आंदोलनकारियों ने तय शर्तों का पालन नहीं किया. कोर्ट ने नाराजगी जताई कि हाईकोर्ट परिसर के चारों ओर प्रदर्शनकारियों ने घेरा बना लिया है. जजों और वकीलों के प्रवेश द्वार तक को अवरुद्ध कर दिया गया. यहां तक कि जजों की गाड़ियां भी कोर्ट तक नहीं पहुंच सकीं. अदालत ने इस स्थिति को गंभीर बताते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रदर्शन ने कानून-व्यवस्था को बिगाड़ दिया है.
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मनोज जरांगे पाटिल और उनके समर्थकों के पास आंदोलन जारी रखने की वैध अनुमति नहीं है. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से उम्मीद जताई कि वह कानून के दायरे में रहकर उचित कदम उठाएगी. अदालत ने कहा कि जरांगे और उनके समर्थकों को आखिरी मौका दिया जा रहा है कि वे तुरंत हालात सुधारें और मंगलवार दोपहर तक सड़कों को पूरी तरह खाली करवा दें.
वहीं महाराष्ट्र सरकार के जल संसाधन मंत्री राधाकृष्ण विके पाटिल ने आंदोलनकारियों से अपील की कि वे आज़ाद मैदान जैसे निर्धारित स्थान पर ही आंदोलन करें. उन्होंने कहा कि विरोध करना उनका हक है, लेकिन रेलवे स्टेशन और सार्वजनिक सड़कों को जाम करके आंदोलन करना पूरे मराठा समाज की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है. इस बीच सीएसएमटी स्टेशन पर आंदोलनकारियों के ढोल-नगाड़ों पर नाचते वीडियो सामने आए, जिससे यात्रियों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा है.