दिल्ली आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की जांच एक साल से भी ज्यादा समय से जारी है. आम आदमी पार्टी और बीआरएस के नेता, शराब कंपनियों के अधिकारियों के साथ-साथ कई अन्य लोगों को इन दोनों एजेंसियों ने गिरफ्तार किया. इस केस में अब एक-एक करके आरोपियों को जमानत मिलती जा रही है. AAP नेता मनीष सिसोदिया और BRS नेता के कविता को सुप्रीम कोर्ट से जमानत तो मिली ही है, इस केस में दोनों एजेंसियों पर भी सवाल उठे हैं. साथ ही, जेल में बंद AAP के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं. अरविंद केजरीवाल को ईडी केस में जमानत मिल चुकी है और सीबीआई केस में ही जमानत का इंतजार है.
आबकारी नीति केस में ही मनीष सिसोदिया को पिछले साल ही गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, अरविंद केजरीवाल को इस साल 21 मार्च की सबसे पहले ईडी ने गिरफ्तार किया था. इसी केस में उन्हें 12 जुलाई को जमानत मिल गई थी. सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को 26 जून को गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह इसी मामले में जेल में बंद हैं. सीबीआई ने अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में अरविंद केजरीवाल को इस पूरे मामले का किंगपिन बताया है. हालांकि, जिस तरह से मनीष सिसोदिया और के कविता को जमानत मिली है उससे यह तय होता जा रहा है कि केजरीवाल भी अब बाहर आ सकते हैं.
भले ही एजेंसियां इन लोगों पर आरोप लगा रही हों लेकिन अभी तक यह साबित नहीं हुआ है कि इन नेताओं ने खुद पैसे लिए या किसी को दिए. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को के कविता को जमानत देते हुए सीबीआई और ईडी को जमकर फटकार लगाई. साथ ही, सरकारी गवाहों और सबूतों को लेकर भी सवाल उठाए. सीबीआई ने अब आरोप लगाए हैं कि अरविंद केजरीवाल ने खुद गोवा चुनाव के दौरान हर कैंडिडेट को 90-90 लाख रुपये देने का वादा किया था. उसका कहना है कि ये पैसे शराब के लाइसेंस के बदले साउथ लॉबी की तरफ से आए थे. इसके लिए सीबीआई वॉट्सऐप चैट का हवाला दे रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया और के कविता को जमानत देते हुए एक अहम बात कही. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि दोनों ही मामलों में गवाहों की संख्या काफी ज्यादा है. दस्तावेज हजारों हैं ऐसे में ट्रायल जल्द पूरा नहीं हो सकता. ऐसे में इन लोगों को जेल में रखने की जरूरत नहीं है. इसके बावजूद ये लोग सबूतों से छेड़छाड़ न करें इसलिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं और पासपोर्ट जब्त कर लिए गए हैं.
अदालत ने माना है कि इस केस में जांच पूरी हो गई है. सबूत जुटाए जा चुके हैं ऐसे में आरोपियों को जेल में रखने की कोई वजह नहीं है. अब अरविंद केजरीवाल के वकील भी इसी आधार पर जमानत मांग सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट इन एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको निष्पक्ष होना चाहिए लेकिन आपने तो दोषी को ही सरकारी गवाब बना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप ऐसे केस में पिक एंड चूज नहरीं कर सकते हैं.