नई दिल्ली. Gyanvapi Survey: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सर्वे को लेकर इलाहबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे जारी रहेगा.
यानी अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कर सकेगी. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ASI की टीम को हरी झंडी दे दी है. कोर्ट ने सर्वे करने की अनुमति देते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि न्याय के लिए ज्ञानवापी परिसर का सर्वे बेहद जरूरी है. कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की जरूरत है.
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हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे विष्णु शंकर जैन ने संवाददाताओं से कहा, "इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वेक्षण शुरू होगा. न्यायालय ने जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखा है."
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज द्वारा सुनाए गए ज्ञानवापी परिसर की एएसआई जांच के फैसले पर रोक लगाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट को इस मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट में 25 जुलाई से लेकर 27 जुलाई तक इस मामले की सुनवाई हुई थी. सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
वाराणसी जिला अदालत ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर में वुजूखाना व शिवलिंग छोड़कर अन्य क्षेत्र के ASI सर्वे का निर्देश दिया था. कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए ASI सर्वेक्षण पर 26 जुलाई तक रोक लगा दी थी. मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने का आदेश दिया था.
एएसआई की टीम ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग का सर्वे नहीं करेगी. क्योंकि अभी ये मामला सर्वोच्च न्यायालय में है. कोर्ट के आदेश के बाद वजूखाने के पूरे एरिया को सील कर दिया गया.
नई याचिका दायर
बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज्ञानवापी मामले को लेकर एक और याचिका दायर की गई है. इसमें शृंगार गौरी की नियमित पूजा की इजाजत देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि जब तक शृंगार गौरी केस में वाराणसी की अदालत का फैसला नहीं आ जाता तब तक परिसर में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए.
ज्ञानवापी परिसर में जांच पड़ताल के दौरान जांच पड़ताल के दौरान जैसे प्रतीकों के मिलने की बात सामने आई थी. इन प्रतीक चिन्हों को नष्ट न किया जाए इसी को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायलय में चिन्हों को संरक्षित किए जानें की अपील भी गई गई थी.
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