भारतीय जनता पार्टी आपातकाल की 50वीं बरसी पर संविधान हत्या दिवस मना रही है. भारत में आपातकाल लगाए जाने को 'भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय' बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उस समय संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया था और कई लोगों को जेल में डाल दिया गया था. ऐसा लगा जैसे उस समय कांग्रेस ने लोकतंत्र को बंधक बना लिया था.
25 जून 1975 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी यह कभी नहीं भूल सकता कि किस तरह से संविधान की भावना का उल्लंघन किया गया और 42वां संशोधन कांग्रेस की चालों का एक प्रमुख उदाहरण है. आज भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक, आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे हो गए हैं. भारत के लोग इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाते हैं. इस दिन, भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया गया और कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया.
आपातकाल के खिलाफ़ लड़ाई
पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि हम हर उस व्यक्ति को सलाम करते हैं जो आपातकाल के खिलाफ़ लड़ाई में डटे रहे! ये पूरे भारत से, हर क्षेत्र से, अलग-अलग विचारधाराओं से आए लोग थे जिन्होंने एक ही उद्देश्य के साथ एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया: भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने की रक्षा करना और उन आदर्शों को बनाए रखना जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया.
उन्होंने कहा, यह उनका सामूहिक संघर्ष ही था जिसने सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और नए चुनाव कराने पड़े, जिसमें वे बुरी तरह हार गए. उन्होंने संविधान के सिद्धांतों को मजबूत करने और विकसित भारत के विजन के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने कहा कि हम प्रगति की नई ऊंचाइयों को छूएं और गरीबों और वंचितों के सपनों को पूरा करें.
यह एक नापाक कोशिश थी-राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पचास साल पहले आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र का गला घोंटने का नापाक प्रयास किया गया था. उन्होंने कहा, "संविधान को दरकिनार करके जिस तरह से देश पर आपातकाल थोपा गया, वह सत्ता के दुरुपयोग और तानाशाही का ज्वलंत उदाहरण है. विपक्ष के सभी नेताओं को जेल में डाल दिया गया. कोई भी संवैधानिक संस्था ऐसी नहीं बची जिसका दुरुपयोग न हुआ हो. फिर भी, इस देश की लोकतांत्रिक परंपराओं को तत्कालीन सरकार चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, मिटा नहीं पाई." उन्होंने कहा, "आज भारत में लोकतंत्र जीवित है और इसके लिए आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वालों, जेल में बंद लोगों और कष्टों को झेलने वालों का बहुत बड़ा योगदान है. भारत की भावी पीढ़ियां उनके योगदान को कभी नहीं भूल सकतीं. प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है, ताकि हर नागरिक को याद रहे कि तानाशाही किस तरह लोकतंत्र की हत्या करने का प्रयास करती है.
भारत में आपातकाल लोकतंत्र पर सीधा हमला: जेपी नड्डा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी कांग्रेस सरकार की आलोचना की और कहा कि भारत पर आपातकाल थोपने से संविधान की हत्या हुई है. उन्होंने दावा किया कि सबसे पुरानी पार्टी आज भी उसी मानसिकता के साथ काम कर रही है. उन्होंने एक वीडियो में कहा, "भारत दुनिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. फिर भी, ऐसे कई उदाहरण हैं जहां संविधान की आत्मा के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की गई. राष्ट्र ऐसे क्षणों को अपने लोकतंत्र के इतिहास में काले अध्याय के रूप में याद करता है. आज ही के दिन, 50 साल पहले, तत्कालीन कांग्रेस प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी - एक ऐसा कदम जो केवल एक राजनीतिक घटनाक्रम नहीं था, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला था, इसकी नींव पर एक क्रूर प्रहार था.
उन्होंने कहा, 25 जून, 1975 की आधी रात को, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति के बहाने भारत पर आपातकाल लगाया, जिससे वास्तव में संविधान की हत्या हुई. 50 साल बाद भी, कांग्रेस पार्टी उसी मानसिकता के साथ काम कर रही है. आज भी इसकी मंशा तानाशाही है." केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने नेताओं को कुछ पत्रकारों के कार्यक्रमों में शामिल होने से रोक दिया है. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने पर वह पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज करती है और विपक्ष में आने पर उनका बहिष्कार करती है. उस दौरान भाजपा के पूर्ववर्ती जनसंघ सहित विपक्षी नेताओं को जेल में डालने की घटना को याद करते हुए नड्डा ने कहा कि मोदी ने आरएसएस के पदाधिकारी के रूप में तब सरकार की अवहेलना की थी और कांग्रेस की ज्यादतियों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाई थी. नड्डा ने लोगों से 'द इमरजेंसी डायरीज - इयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर' नामक पुस्तक पढ़ने का भी आग्रह किया, जिसमें आपातकाल से लड़ने में मोदी की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है.