पाकिस्तान में नौ आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने वाले ऑपरेशन सिंदूर के बाद , पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर मिसाइल हमले करके तनाव बढ़ाने का प्रयास किया. इनमें से प्रत्येक मिसाइल को रोक दिया गया या उसे निष्क्रिय कर दिया गया. कोई भी मिसाइल अपने निर्धारित लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकी.
भारत की तीव्र, समन्वित प्रतिक्रिया ने उसकी वायु रक्षा प्रणाली की ताकत को प्रदर्शित किया - जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में कड़ी मेहनत से बनाया गया है, तथा इसने पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणाली के खोखलेपन को भी उजागर किया.
एकीकृत मानवरहित हवाई प्रणाली (यूएएस) ग्रिड, एस-400 ट्रायम्फ प्रणाली, बराक-8 मिसाइल, आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और डीआरडीओ की ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकियों ने मिलकर एक ऐसा हवाई कवच तैयार किया जो मजबूती से टिका रहा.
इस स्तर की तैयारियां रातों-रात नहीं हो गईं. 2014 से मोदी सरकार ने भारत की वायु रक्षा संरचना को व्यवस्थित रूप से उन्नत किया है.
पांच एस-400 ट्रायम्फ स्क्वाड्रनों के लिए 35,000 करोड़ रुपये के सौदे पर 2018 में हस्ताक्षर किए गए थे, जिनमें से तीन स्क्वाड्रन अब चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर कार्यरत हैं.
बराक-8 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एमआर-एसएएम) की तैनाती, जिसके लिए 2017 में इजरायल के साथ 2.5 बिलियन डॉलर का सौदा हुआ था, जो अब भटिंडा जैसे सीमावर्ती ठिकानों की सक्रिय रूप से सुरक्षा कर रही है.
स्वदेशी आकाश मिसाइल बैटरियां और डीआरडीओ द्वारा विकसित काउंटर-ड्रोन सिस्टम.
2024 में शत्रुतापूर्ण यूएवी को रोकने और निष्क्रिय करने के लिए मैन पोर्टेबल काउंटर ड्रोन सिस्टम (एमपीसीडीएस) स्थापित किया जाएगा.
ऑपरेशन सिंदूर में 2021 में ऑर्डर किए गए और भारत में निर्मित आत्मघाती ड्रोनों की भी पहली बार युद्ध में शुरुआत हुई. इन ड्रोनों ने विभिन्न सेक्टरों में एक साथ, सटीक हमले किए, जिससे पाकिस्तान की सुरक्षा पूरी तरह से हैरान रह गई.
इसके अलावा, कराची और लाहौर में हवाई रक्षा संपत्तियों को निशाना बनाने और नष्ट करने के लिए अब स्थानीय रूप से निर्मित इज़रायली मूल के हारोप ड्रोन तैनात किए गए. इन प्लेटफार्मों ने SCALP और HAMMER मिसाइलों से लैस राफेल लड़ाकू विमानों की रणनीतिक तैनाती के साथ मिलकर सर्जिकल सटीकता के साथ शक्ति प्रक्षेपण करने की भारत की क्षमता का प्रदर्शन किया.
रक्षा के प्रति मोदी सरकार का दृष्टिकोण दिखावटी नहीं रहा है, बल्कि इसका उद्देश्य एक लचीले, बहुस्तरीय पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना रहा है.
भारत आज तकनीक-संचालित हवाई क्षेत्र रक्षा नेटवर्क संचालित करता है, जो खतरों का पता लगाने, उन्हें रोकने और घुसपैठ से पहले ही उन्हें नष्ट करने में सक्षम है.
ऑपरेशन सिंदूर ने एक स्पष्ट संदेश दिया: भारत न केवल अपने आसमान की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि अब वह उस पर नियंत्रण भी रखता है.