40 Percent Commission Karnataka: राहुल गांधी समेत इन नेताओं को कोर्ट का समन, जानें क्या है 40% कमीशन

40 Percent Commission Karnataka: कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कर्नाटक के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को कोर्ट ने बीजेपी सरकार पर 40 प्रतिशत कमीशन के आरोप लगाने को लेकर समन जारी किया है. आइए जानते हैं क्या है 40% कमीशन का मामला.

Imran Khan claims

40 Percent Commission Karnataka: कर्नाटक के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को कोर्ट ने समन जारी किया है. तीनों नेताओं के खिलाफ यह समन पिछली बीजेपी सरकार पर 40 प्रतिशत कमीशन के आरोप लगाने को लेकर जारी किया गया है. दरअसल, पिछले साल कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला किया था. इस दौरान कांग्रेस की ओर से एक अभियान भी चलाया गया था. कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई की फोटो के साथ पेसीएम के पोस्टर भी लगाए थे.

कांग्रेस की ओर से जारी पोस्टर पर एक क्यूआर कोड था जो यूजर्स को '40 प्रतिशत सरकार' वेबसाइट पर ले जा रहा था. इस वेबसाइट को कांग्रेस की ओर से इसलिए लॉन्च किया था ताकि बीजेपी के शासन में चल रहे कमीशन के खेल को उजागर किया जा सके. इसी के खिलाफ बीजेपी की ओर से कांग्रेस नेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है. बीजेपी की इसी शिकायत के मामले में कांग्रेस के इन नेताओं को 28 मार्च तक एमपी/एमएलए कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया है.  

क्या है 40% कमीशन का आरोप

कांग्रेस की ओर से बीजेपी पर लगाया गया 40% कमीशन मामला ठेकेदारों से रिश्वत लेने से जुड़ा हुआ है. पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने यह आरोप लगाया था कि बीजेपी सरकार राज्य में चल रही परियोजनाओं के ठेकेदारों से 40% तक कमीशन ले रही है. कांग्रेस की ओर से इस आरोप को '40% कमीशन की सरकार' कहकर प्रचारित किया और दावा किया कि यह भ्रष्टाचार का एक मुख्य उदाहरण है. कांग्रेस ने चुनाव के दौरान PayCM और PayMLA जैसे अभियान चलाते हुए यह बताने की कोशिश की थी कि ठेकेदारों को सीधे मुख्यमंत्री और विधायकों को रिश्वत देनी पड़ रही थी.

कांग्रेस के आरोपों को बीजेपी ने नकारा

कांग्रेस के आरोपों को बीजेपी ने खारिज करते हुए आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा था कि सरकार पारदर्शी तरीके से काम कर रही है और किसी तरह के भ्रष्टाचार में शामिल नहीं है. बता दें कि इस मामले में चुनाव आयोग ने भी जांच की थी लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिला था. 

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