3 big questions of Hindenburg report: अमेरिकी इन्वेस्टमेंट रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की अध्यक्ष मधुबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं. हिंडनबर्ग का दावा है कि बुच दंपत्ति दो ऑफशोर फंडों में हिस्सेदार थे, जिनका कथित तौर पर 'अदाणी मनी सिफॉनिंग घोटाले' में इस्तेमाल किया गया था.
मधुबी पुरी बुच और उनके पति ने इन आरोपों को 'निराधार' और 'कैरेक्टर एसासिनेशन' का प्रयास करार दिया है. वहीं विपक्ष इस मुद्दे पर ज्वाइंट पार्लियमेंट्री कमेटी बनाने की मांग कर रहा है जो कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आरोपों की जांच कर सके. आइए समझते हैं कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में वो 3 बड़े आरोप कौन से हैं जिसने सेबी के अस्तित्व और उसकी विश्वसनियता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.
हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2017 में, मधुबी पुरी बुच की सेबी में नियुक्ति से कुछ हफ्ते पहले, उनके पति धवल बुच ने मॉरीशस स्थित फंड एडमिनिस्ट्रेटर ट्राइडेंट ट्रस्ट को एक पत्र लिखा. इस पत्र में उन्होंने फंड के खातों को संचालित करने के लिए एकमात्र अधिकृत व्यक्ति बनने का अनुरोध किया. हिंडनबर्ग का दावा है कि यह उनके पत्नी के नाम को ग्लोबल डायनेमिक अपॉर्चुनिटीज फंड (GDOF) से हटाने की साजिश का हिस्सा था.
अप्रैल 2017 में, मधुबी पुरी बुच सेबी में पूर्णकालिक सदस्य बनीं और फरवरी 2018 में उन्होंने GDOF से सभी यूनिट्स का रिडेम्पशन मांगा.
हिंडनबर्ग का आरोप है कि मधुबी पुरी बुच की अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक सिंगापुर स्थित एक कंसल्टिंग फर्म अगोरा पार्टनर्स में 100% हिस्सेदारी थी. यह अवधि उनके सेबी में अध्यक्ष रहने के दौरान की है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने मार्च 2022 में सेबी अध्यक्ष बनने के दो हफ्ते बाद ही अपनी पूरी हिस्सेदारी अपने पति को ट्रांसफर कर दी.
हिंडनबर्ग का दावा है कि सिंगापुर में कंपनियों को वित्तीय विवरण सार्वजनिक करने की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि अगोरा पार्टनर्स ने कितना राजस्व कमाया और वह भी किससे. इसके अलावा, मधुबी पुरी बुच की भारत में एक कंसल्टिंग फर्म अगोरा एडवाइजरी भी है, जिसमें उनके पति निदेशक हैं.
हिंडनबर्ग का आरोप है कि 2019 में, मधुबी पुरी बुच के सेबी सदस्य रहते हुए उनके पति धवल बुच को ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया गया. धवल बुच का रोल मुख्य रूप से खरीद और आपूर्ति श्रृंखला में रही है, और उनका फंड, रियल एस्टेट या पूंजी बाजार में कोई विशेष अनुभव नहीं था.
ब्लैकस्टोन भारत में रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REITs) के प्रमुख निवेशकों में से एक है. धवल बुच के ब्लैकस्टोन में सलाहकार रहने के दौरान, सेबी ने कई REIT नियमों में बदलाव किए, जिनका लाभ ब्लैकस्टोन जैसी निजी इक्विटी फर्मों को हुआ.
हिंडनबर्ग की इन गंभीर आरोपों ने देश में काफी हलचल मचा दी है. सेबी अध्यक्ष ने इन आरोपों का खंडन किया है, लेकिन यह मामला अब जांच के दायरे में आ गया है. इस मामले के परिणाम से न केवल सेबी की साख पर बल्कि पूरे भारतीय शेयर बाजार पर असर पड़ सकता है.
इन आरोपों के बाद सेबी की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठने लगे हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले की जांच कैसे आगे बढ़ती है और इसका क्या परिणाम निकलता है.
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