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1984 सिख विरोधी दंगा: जगदीश टाइटलर की जमानत के खिलाफ CBI, कोर्ट 4 अगस्त को सुनाएगा फैसला

Delhi Sikh Riot Case: सिख दंगे के आरोपी जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. राउज एवेन्यू कोर्ट ने टाइटलर की अग्रिम जमानत पर चार अगस्त को दोपहर तीन बजे फैसला सुनाने का फैसला लिया है.

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Avinash Kumar Singh
1984 सिख विरोधी दंगा: जगदीश टाइटलर की जमानत के खिलाफ CBI, कोर्ट 4 अगस्त को सुनाएगा फैसला

नई दिल्ली: सिख दंगे के आरोपी जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. राउज एवेन्यू कोर्ट ने टाइटलर की अग्रिम जमानत पर चार अगस्त को दोपहर तीन बजे फैसला सुनाने का फैसला लिया है. विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखने का फैसला किया और आदेश सुनाने के लिए 4 अगस्त की तारीख तय की है. CBI ने टाइटलर की अग्रिम जमानत का विरोध किया है. जांच एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि गवाहों को प्रभावित करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

1984 सिख दंगे से जुड़े मामले में आरोपी जगदीश टाइटलर ने बीते कल अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है. राउज एवेन्यू कोर्ट ने टाइटलर की अर्जी पर CBI को नोटिस जारी किया. टाइटलर ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका में आरोप लगाया है कि जांच एजेंसी के रुख में बदलाव आया है. वह 78 साल के हैं और उन्हें अग्रिम जमानत देते समय उनकी उम्र को ध्यान में रखा जाना चाहिए.

सिख विरोधी दंगों से जुड़ा हुआ है जगदीश टाइटलर का नाम

बीते दिनों सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को समन जारी किया था. अदालत ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ दायर CBI के आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए उनको समन जारी किया था. कोर्ट ने उन्हें 5 अगस्त को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 31 अक्टूबर 1984 को भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री की हत्या के बाद 1984 में सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ 20 मई को आरोप पत्र दायर किया. इस आरोप पत्र में कांग्रेस नेता और तत्कालीन सांसद जगदीश टाइटलर को आरोपी बनाया गया.

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सिख विरोधी दंगों की क्या है पूरा वाकया

1 नवंबर 1984 को आजाद मार्केट, बारा हिंदू राव, दिल्ली में गुरुद्वारा पुल बंगश में एक भीड़ की ओर से आग लगा दी गई थी. जिसमें सरदार ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरचरण सिंह नामक तीन लोगों की जलकर मौत हो गई थी. सिख विरोधी दंगों की घटनाओं की जांच के लिए भारत सरकार की ओर से साल 2000 में न्यायमूर्ति नानावटी जांच आयोग की स्थापना की गई थी.

आयोग की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद गृह मंत्रालय ने तत्कालीन संसद सदस्य और अन्य के खिलाफ मामले की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश जारी किए थे. एक बार इसी मामले में सीबीआई 2009 के आम चुनाव से पहले टाइटलर को क्लीन चिट भी दे चुकी है लेकिन 4 दिसंबर, 2015 के आदेश के बाद जांच फिर से शुरू की. कांग्रेस पार्टी ने कांग्रेस पार्टी ने 2009 के आम चुनावों में उनसे पार्टी का टिकट यानी उम्मीदवारी वापस ले ली.

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