menu-icon
India Daily

'हमने उन्हीं घरों को गिराया, जहां बीफ मिला,' 11 घरों पर बुलडोजर बाकी को क्यों छोड़ा? पुलिस ने वजह बताई

मंडला की जिला कलेक्टर सलोनी सिदाना ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अधिकारियों ने किसी खास घर को निशाना नहीं बनाया है. स्थानीय प्रशासन 2022 से इस गांव के निवासियों को नोटिस दे रहा है. हमने उन घरों को ध्वस्त कर दिया जहां गोमांस मिला था और बाकी को अभी के लिए छोड़ दिया है. कौन से घर ढहाए जाएं, यह हमारे प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं है.

auth-image
Edited By: India Daily Live
MP village
Courtesy: Social Media

मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल मंडला में पुलिस ने घर के फ्रिज में गोमांस रखने के आरोप में कई घरों पर बुलडोजर चलाया. 5 जून को पुलिस ने कहा था कि उन्हें फ्रिज के अंदर गोमांस, बोरों में जानवरों की खाल और पिकअप ट्रकों में हड्डियां मिलीं, जिसके बाद अधिकारियों ने इन घरों को ढहा दिया था. जबकि अधिकारियों का कहना है कि 11 ढांचे सरकारी ज़मीन पर बनाए गए थे. हालांकि जिन घरों को गिराया गया उनके बगल में और भी घर खड़े हैं जिन्हें अधिकारी अवैध मानते हैं लेकिन उन घरों से गोमांस बरामद नहीं हुआ.

अवैध गोमांस व्यापार के खिलाफ कार्रवाई के तहत 11 लोगों द्वारा सरकारी जमीन पर बनाए गए घरों को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया. मंडला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) रजत सकलेचा ने बताया कि कार्रवाई यह गुप्त सूचना मिलने के बाद की गई कि नैनपुर के भैसवाही इलाके में वध के लिए बड़ी संख्या में गायों को लाया गया है. एसपी सकलेचा ने बताया कि एक दल वहां पहुंचा और हमें आरोपियों के ठिकाने के पीछे बंधी 150 गायें मिली. सभी 11 आरोपियों के घरों में रेफ्रिजरेटर से गाय का मांस बरामद किया गया. 

उन घरों को ध्वस्त कर दिया जहां गोमांस मिला

नैनपुर थाने के एसएचओ इंदर बलदेव ने कहा कि हमने उन घरों को ध्वस्त कर दिया जहां गोमांस मिला था और बाकी को अभी के लिए छोड़ दिया है. कौन से घर ढहाए जाएं, यह हमारे प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं है. यह राजस्व विभाग द्वारा तय किया जाता है. हम मवेशी तस्करों के खिलाफ़ कार्रवाई कर रहे थे. जबलपुर में चमड़े की कंपनियां जिन्होंने जानवरों की खालें खरीदीं और स्थानीय आदिवासी लोग जिन्होंने इस गिरोह से गाय का मांस खरीदा, उनकी जांच की जाएगी. पांच आरोपियों के खिलाफ़ एनएसए लगाया जाएगा जो बार-बार अपराध करते हैं. सभी घर कुरैशी समुदाय के लोगों के हैं. एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 10 फरार हैं.

प्रशासन 2022 से इस गांव के निवासियों को नोटिस दे रहा है

मंडला की जिला कलेक्टर सलोनी सिदाना ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अधिकारियों ने किसी खास घर को निशाना नहीं बनाया है. स्थानीय प्रशासन 2022 से इस गांव के निवासियों को नोटिस दे रहा है. अधिकारियों के लिए यहां काम करना बहुत मुश्किल है. 2016 में इस गांव में वारंट तामील करने वाले एक पुलिसकर्मी की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. हम अवैध ढांचों को तभी हटा पाए जब निवासी भाग गए. यह पूछे जाने पर कि ध्वस्त किए गए घरों के बगल में स्थित 16 घरों को क्यों नहीं तोड़ा गया, उन्होंने कहा कि हमने अन्य घरों को नहीं तोड़ा क्योंकि कुछ बाध्यताएं थीं. ईद थी और संवेदनशीलता को देखते हुए हमने उन्हें छोड़ दिया. हम जल्द ही इस गांव में सभी अवैध ढांचों के खिलाफ़ कार्रवाई करेंगे.

आदिवासी और मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं

बैंसवाही गांव में आदिवासी और मुस्लिम समुदाय के करीब 1,100 लोग रहते हैं. गांव में करीब 80 मुस्लिम परिवार हैं. 14 जुलाई को, कथित तौर पर 15,000 वर्ग फीट सरकारी जमीन पर बने करीब 27 घरों पर भारी पुलिस बल ने छापा मारा, जिससे बस्ती मलबे के ढेर में तब्दील हो गई. पिछले दो सालों में कई ईंट के घर बन गए हैं, हालांकि कुछ दशकों पुराने हैं. छापे के सिलसिले में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, एक मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी थी कि आदिल कुरैशी नाम का एक व्यक्ति गोहत्या रैकेट चलाता है और उसके घर पर बड़ी मात्रा में गोमांस और वध के लिए जिंदा गायें रखी हुई हैं. अधिकारी ने कहा, हमने आदिल को गिरफ्तार करने की कोशिश की, लेकिन वह बच निकला. वह पहले के एक मामले में भी आरोपी था. उसका पूरा परिवार भाग गया. हम बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ गए और हर घर से बड़ी मात्रा में मांस बरामद किया.

समीना कुरैशी का परिवार,जो 30 साल से गांव में रह रहा है, उनके चार घर ढहा दिए गए. उन्होंने दावा किया, मेरे पति चिकन और भेड़ के मांस का भंडारण करते हैं. वह मृत गायों के कंकाल भी इकट्ठा करते हैं. लेकिन गाय का मांस नहीं था. यह एक झूठा आरोप है.