दिल्ली दंगों की साजिश के आरोपों में जेल में बंद उमर खालिद को उनकी बहन की शादी में शामिल होने के लिए अदालत से बड़ी राहत मिली है. गुरुवार को कड़कड़डूमा स्थित विशेष अदालत ने उसे सीमित अवधि की अंतरिम जमानत प्रदान की. अदालत ने यह अनुमति कुछ निश्चित शर्तों के साथ दी है, जिनमें सोशल मीडिया से दूरी और केवल परिवार व शादी समारोहों तक सीमित रहना शामिल है. खालिद ने 14 दिसंबर से 29 दिसंबर तक जमानत की मांग की थी, जिसमें से अदालत ने 14 दिन की राहत दी.
एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेयी ने अपने आदेश में कहा कि खालिद को 16 दिसंबर से 29 दिसंबर तक 14 दिन की अंतरिम जमानत दी जा रही है. अदालत ने माना कि यह शादी उनकी सगी बहन की है और पारिवारिक परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें अस्थायी राहत दी जा सकती है. इससे पहले भी दिसंबर 2024 में उन्हें चचेरे भाई की शादी के लिए एक सप्ताह की जमानत मिली थी.
अदालत ने स्पष्ट किया कि जमानत अवधि में खालिद सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करेगा. वह केवल अपने परिवार, रिश्तेदारों और नजदीकी मित्रों से ही मिल सकेगा. उसे अपने घर या उन स्थानों तक सीमित रहना होगा जहां शादी से जुड़े कार्यक्रम होंगे. अदालत ने 20 हजार रुपये के निजी मुचलके और दो जमानतदार जमा कराने की शर्त भी रखी है.
अदालत के आदेश में कहा गया है कि उनकी अंतरिम जमानत 29 दिसंबर की शाम तक ही मान्य रहेगी. समय पूरा होने पर उन्हें संबंधित जेल के अधीक्षक के सामने आत्मसमर्पण करना होगा. इसके बाद जेल प्रशासन अदालत को इस संबंध में रिपोर्ट सौंपेगा. आदेश की प्रति जेल अधिकारियों और खालिद की कानूनी टीम को भी भेजी जाएगी.
जमानत आदेश से एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने खालिद और पांच अन्य आरोपियों की नियमित जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और उन पर दिल्ली दंगों की साजिश रचने का आरोप है. उनके खिलाफ UAPA के तहत मामला दर्ज है.
साल 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के बाद कई लोगों पर साजिश के आरोप लगाए गए थे. आरोपपत्र में खालिद का नाम प्रमुख रूप से शामिल है. वह करीब चार वर्षों से न्यायिक हिरासत में हैं. अब अदालत द्वारा दी गई यह राहत उनके परिवार के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, हालांकि नियमित जमानत पर अंतिम फैसला अभी लंबित है.