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रात में पैरों के ये संकेत बता सकते हैं बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल, अनदेखी न करें ये लक्षण

रात के समय पैरों में दिखने वाले कुछ बदलाव हाई कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकते हैं. इन लक्षणों को समय रहते पहचानना जरूरी है ताकि हार्ट और ब्लड वेसल से जुड़ी गंभीर बीमारियों से बचाव हो सके.

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Reepu Kumari

नई दिल्ली: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और गलत खानपान की वजह से हाई कोलेस्ट्रॉल तेजी से बढ़ती समस्या बन चुका है. यह स्थिति धीरे-धीरे ब्लड वेसल्स में फैट जमा कर देती है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है. कई बार शरीर दिन में कोई संकेत नहीं देता, लेकिन रात में पैरों में दिखने वाले बदलाव चेतावनी दे सकते हैं.

रात में शरीर रिलैक्स मोड में होता है और ब्लड सर्कुलेशन के छोटे बदलाव भी महसूस होने लगते हैं. ऐसे में पैरों से जुड़े कुछ लक्षण हाई कोलेस्ट्रॉल की पहचान में मदद कर सकते हैं. इन संकेतों को नजरअंदाज करना सही नहीं है, क्योंकि समय रहते जांच कराने से बड़ी बीमारी को रोका जा सकता है.

पैरों में सुन्नपन और झनझनाहट

अगर रात में सोते समय पैरों में बार-बार सुन्नपन या झनझनाहट महसूस हो, तो यह ब्लड फ्लो कम होने का संकेत हो सकता है. हाई कोलेस्ट्रॉल धमनियों को संकरा कर देता है, जिससे यह समस्या उभरती है.

पैरों का ठंडा महसूस होना

गर्म मौसम में भी पैरों का असामान्य रूप से ठंडा रहना चिंता का कारण हो सकता है. यह संकेत करता है कि पैरों तक पर्याप्त रक्त नहीं पहुंच पा रहा है, जो कोलेस्ट्रॉल जमा होने की वजह से हो सकता है.

त्वचा का रंग बदलना

रात में पैरों की त्वचा का नीला या बैंगनी पड़ना खराब ब्लड सर्कुलेशन का लक्षण माना जाता है. यह हाई कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी परिधीय धमनी रोग की ओर इशारा कर सकता है.

रात में पैरों में दर्द या ऐंठन

सोते समय पैरों में दर्द या अचानक ऐंठन आना भी चेतावनी संकेत है. जब मांसपेशियों तक ऑक्सीजन कम पहुंचती है, तो इस तरह का दर्द महसूस हो सकता है.

पैरों में घाव देर से भरना

यदि पैरों में छोटा सा घाव भी ठीक होने में ज्यादा समय ले, तो इसे हल्के में न लें. हाई कोलेस्ट्रॉल ब्लड सप्लाई को प्रभावित करता है, जिससे घाव भरने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.